नरेंद्र मोदी सरकार बुधवार को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने जा रही है। प्रधानमंत्री इस मौके पर झारखंड में स्पेशल मिशन की शुरुआत करेंगे। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के विकास के उद्देश्य से 24,000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस स्कीम को बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को लॉन्च किया जाएगा।
मोदी बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू गांव का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। वह खूंटी में आयोजित तीसरे जनजातीय गौरव दिवस के समारोह में भी भाग लेंगे। मोदी सरकार के इस कदम का लक्ष्य आदिवासी आबादी को सशक्त बनाना है। नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर होगी। 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 PVTGs हैं। वे 22,544 गांवों (220 जिलों) में रहते हैं और उनकी आबादी लगभग 28 लाख है।
18 राज्यों और UTs में बसीं जनजातियों तक पहुंच
PMO के अनुसार ये जनजातीय समूह काफी रिमोट इलाकों में रहते हैं। मिशन के जरिए उन तक सड़क, बिजली, घर, साफ पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी। उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और रोजगार का इंतजाम भी किया जाएगा।
ये जनजातियां (PVTGs) बिखरी हुई हैं और जंगली इलाकों के दूरस्थ व दुर्गम इलाकों में रहती हैं। इन परिवारों और बस्तियों को सड़क और दूरसंचार संपर्क से जोड़ने, बिजली, सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने के लिए यह योजना बनाई गई है।
PMO के मुताबिक इस योजना को ग्रामीण सड़क, ग्रामीण आवास और पेयजल को कवर करने वाले मौजूदा कल्याणकारी कार्यक्रमों के तहत नौ मंत्रालयों के माध्यम से लागू किया जाएगा। इन दूरदराज की बस्तियों को कवर करने के लिए कुछ योजना मानदंडों में ढील दी जाएगी।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, सिकल सेल रोग उन्मूलन, टीबी उन्मूलन, 100 प्रतिशत टीकाकरण, पीएम सुरक्षित मातृत्व योजना, पीएम मातृ वंदना योजना, पीएम पोषण और पीएम जन धन योजना के लिए कवरेज सुनिश्चित किया जाएगा।
आदिवासियों से बार-बार कनेक्ट कर रहे PM मोदी
अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार हो रहा है। हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को रिझाने में हर पार्टी जुटी हुई है।
दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी जनजातीय आबादी भारत में रहती है। भारत की जनसंख्या में इनकी हिस्सेदारी करीब 9 प्रतिशत है। आदिवासी लंबे समय से अनेदखी का शिकार रहे हैं। हालात ऐसे थे कि आजादी के 52 साल बाद 1999 में जनजातीय मामलों का मंत्रालय गठित किया गया। इस तथ्य का जिक्र मोदी अपनी कई रैलियों में कर चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि उनका ‘जन्म आदिवासियों की सेवा के लिए’ हुआ है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हवाला देते हुए पूछा कि क्या किसी ने सोचा था कि कभी आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला राष्ट्रपति बनेगी।
चुनावों को देखते हुए मोदी ने कई मौकों पर आदिवासियों तक पहुंच बनाने की कोशिश की। 30 अक्टूबर को ‘मन की बात’ में उन्होंने राजस्थान के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी गोविंद गुरु का जिक्र किया।
1 नवंबर को छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस पर राज्य की संस्कृति में ‘आदिवासी समुदायों के अहम योगदान’ को रेखांकित किया।
BJP का मिशन ट्राइबल, नजरें 2024 पर क्यों
बीजेपी यूं ही नहीं आदिवासियों को रिझाने में जुटी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शेड्यूल्ड ट्राइब्स (STs) के लिए रिजर्व्ड 47 सीटों में से 31 जीती थीं। वह 2024 लोकसभा चुनाव में उस सफलता को दोहराना चाहती है।
2011 की जनगणना के मुताबिक सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में रहती हैं। तीन राज्य- एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में देश के करीब 31 प्रतिशत STs रहते हैं।
आदिवासी वोटों पर किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा। यह बात अलग है कि पिछले दो दशक में, बीजेपी ने इन्हें वोट बैंक के रूप में डिवेलप किया है। 24 हजार करोड़ रुपये के नए प्रोजेक्ट के जरिए बीजेपी इस वोट बैंक को और मजबूत करना चाहती है।
Compiled: up18 News
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