कब्र पर क्रॉसवर्ड की तरह लिखे संदेश ने दशकों तक लोगों को चौंकाया

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एक कब्र पर क्रॉसवर्ड की तरह लिखे एक संदेश ने दशकों तक लोगों को चौंकाया। क्या संदेश लिखा हुआ है, कोई भी समझ नहीं पा रहा था। अंत में 90 साल की एक बुजुर्ग महिला ने गुत्थी को सुलझाया।

कनाडा के तेरह प्रांतों में से एक अहम प्रांत है ओंटारिया। ओंटारियो अमेरिका की सीमा से सटा हुआ है। इस प्रांत में ओटावा है जो कनाडा की राजधानी है। ओंटारियो में ही रशेज कब्रिस्तान है, जहां की कब्र पर क्रॉसवर्ड की तरह लिखी हुई है यह पहेली।

डॉ. सैमुएल बीन की दुखद कहानी

डॉ. सैमुएल बीन का जन्म 1842 में हुआ था। वह ओंटारियो में रहते थे। 1865 में उनकी पहली शादी हेनरिएटा बीन से हुई। सिर्फ सात महीने तक ही हेनरिएटा सैमुएल के जीवन का हिस्सा रही। सात महीने बाद उसका निधन हो गया। पहली पत्नी की मौत के तुरंत बाद सैमुएल ने सुसान से शादी कर ली। लेकिन कुछ समय बाद सुसान की भी मौत हो गई। दोनों पत्नी की मौत के बाद डॉ. बीन ने उनकी कब्र पर संगमरमर का पत्थर लगाया। उस पत्थर पर दोनों पत्नियों का नाम दर्ज किया और 225 कैरेक्टर में क्रॉसवर्ड की तरह कुछ लिखा जिसमें संख्या और अक्षर शामिल थे।

डॉ. बीन की मौत और कब्र की इबारत का रहस्य

डॉ. बीन के जिंदा रहते हुए कई लोगों ने उस राज को जानना चाहा लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई। साल 1904 में डॉ. बीन क्यूबा छुट्टी बिताने गए थे। वहां एक बोट के किनारे वह गिर गए और डूबने से उनकी मौत हो गई। डॉ. बीन की मौत के साथ ही कब्र की इबारत का राज और गहराता गया।

गुत्थी को कोई नहीं सुलझा सका

धीरे-धीरे डॉ. बीन की पत्नियों की कब्र पर लिखा संदेश एक गुत्थी बन गया जिसको सुलझाने की बहुत लोगों ने कोशिश की। वह कब्र लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई। खुद को किसी भी तरह के कोड को समझने में माहिर होने का दावा करने वाले लोग आते रहे लेकिन कोई समझ नहीं पाया कि आखिर लिखा क्या है। फिर आया साल 1942। कब्रिस्तान के चौकीदार ने दावा किया कि उसने संदेश को डीकोड कर लिया है लेकिन किसी को बताने से मना कर दिया। फिर उसकी भी मौत हो गई और किसी को कुछ पता नहीं चल सका।

अंत में ऐसे सुलझा

फिर 1970 में वह समय भी आया जब संदेश को डीकोड कर लिया गया। इस काम को अंजाम दिया पास में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने।

एस. बीन, एमडी की पहली पत्नी हेनरिएटा जिनकी मौत 27 सितंबर 1865 को 23 साल 2 महीने और 17 दिन की उम्र में हुई एवं उनकी दूसरी पत्नी सुसान जिनकी मौत 27 अप्रैल 1867 को 26 साल 10 महीने और 15 दिनों में हुईं, की याद में। दोनों पत्नियां बहुत अच्छी थीं। ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनकी दो पत्नी हों और वे अच्छी हों। वे भगवान की तरफ से मिले उपहार जैसे थीं, लेकिन अब स्वर्ग में हैं। भगवान मुझे वहां (स्वर्ग) में उनसे मिलने में मदद करें।

-एजेंसियां