मथुरा: यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान ने बताए यमुनोत्री यात्रा से जुड़े अनुभव

Press Release

मथुरा। यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान के सदस्यों ने अपनी पांच राज्यों की छह दिवसीय यात्रा की समाप्ति के पश्चात होली गेट अग्रवाल धर्मशाला में प्रेस वार्ता में अभियान से जुड़े अनुभव प्रेस के साथ साझा किए।

अभियान के सदस्यों ने बताया कि यमुनोत्री के साथ हिमालय की असंख्य धाराओं से मिलकर निकलने वाली यमुना नदी का जल हथिनी कुंड बैराज हरियाणा तक निर्मल और स्वच्छ दिखाई पड़ता है।

22 मई को जब अभियान की टीम ने हथिनी कुंड बैराज का रजिस्टर चैक किया तो जानकारी मिली कि रात्रि के 1:00 बजे 4575 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया जिसमें से मात्र 352 क्यूसेक पानी ही यमुना के लिए छोड़ा गया। शेष पानी हरियाणा नहर के लिए 3254 क्यूसेक व 969 क्यूसेक सहारनपुर नहर में डाल दिया गया।

यमुना में छोड़े गए पानी को दिल्ली के वजीराबाद में बैराज बनाकर रोक लिया गया है वहां पर इस पानी को फिल्टर करके दिल्ली के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वजीराबाद बैराज के आगे ही बड़े-बड़े नाले उसमें से उड़ते हुए झाग और बर्दाश्त से बाहर बदबू भरा प्रदूषित पानी यमुना में गिरते हुए देखा जा सकता है।

दिल्ली के दूसरे छोर ओखला बैराज से पहले हिंडन नदी के रूप में एक गंदा नाला यमुना में आकर मिल रहा है। वहां के कर्मचारियों ने रजिस्टर तो नहीं दिखाया परंतु बताया कि 352 क्यूसेक पानी आगे के लिए छोड़ा जा रहा है।

जमुना को साफ करने के लिए पिछले 30 वर्षों में खर्च किए गए 7000 करोड़ रुपयों में से नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत यमुना प्रदूषण खत्म करने के नाम पर आवंटित 3941 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा, यमुना नदी में डाले जा रहे औद्योगिक कचरा व सीवर की गंदगी के ट्रीटमेंट में खर्च किया जा रहा है। दिल्ली के बाद यमुना में प्राकृतिक पानी की उपस्थिति लगभग नगण्य हो चुकी है।

अभियान के सदस्यों ने यमुना में छोड़े जा रहे जल को बेहद कम बताते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली कि केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि यमुना नदी में ज्यादा जल छोड़ा जाए तथा समेत देश की सभी नदियों में बगैर ट्रीटमेंट व साफ किए औद्योगिक कचरा, सीवर का पानी व गंदगी डाले जाने को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए।

अभियान के सदस्यों ने यमुना नदी में लगाई जा रही व्यासी जल विद्युत परियोजना में डुबो दिए गए लोहारी गांव के लोगों से मुलाकात की तथा सरकार उन्हें जमीन व मुआवजा दिए जाने की मांग की।

दल के सदस्यों ने बड़कोट के तिलाड़ी मैदान पहुंचकर 1930 मैं राजा नरेंद्र शाह की गोलीबारी में शहीद हुए तिलाड़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

यमुनोत्री से मथुरा के बीच में 2 दर्जन से भी अधिक सभाएं व पर्चा वितरण कर जनता के साथ व्यापक रूप से जनसंपर्क भी किया।

यमुनोत्री कालसी, पौंटा साहिब, हथिनी कुंड बैराज, दिल्ली के वजीराबाद,ओखला व मथुरा आदि स्थानों से जल के नमूने भी एकत्र किए गए जिन्हें लेबोरेटरी में टेस्ट कराया जाएगा।

आज सच्चाई यह है कि मथुरा तक जो जल यमुना में पहुंच रहा है वह ना तो पीने लायक है और ना ही नहाने लायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने यमुना को शुद्ध बनाए जाने को लेकर जितने भी वादे किए हैं वह सब झूठे साबित हुए हैं।

पत्रकार वार्ता को समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, महिला एकता मंच की कौशल्या, साइंस फॉर सोसाइटी की सदस्य उषा पटवाल ने संबोधित किया। संचालन अभियान के संयोजक सौरभ चतुर्वेदी ने किया।

यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान का मथुरा-यमुनोत्री-मथुरा तक ये अभियान उत्तराखंड व मथुरा साथियों द्वारा संयुक्तरूप से चलाया गया था जिसमें उक्त साथियों के अतिरिक्त ललिता रावत,सरस्वती जोशी,राजेंद्र सिंह, उपेंद्र नाथ चतुर्वेदी, योगेश सिंह, गोपाल लोदियाल ने भागीदारी की।