हॉकी वर्ल्ड कप के इतिहास में भारत के लिए 15 मार्च है बहुत महत्‍वपूर्ण

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भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला हर मुकाबला वर्ल्ड कप फाइनल की तरह होता है। और अगर वाकई में वर्ल्ड कप फाइनल हो तो रोमांच की पराकाष्ठा का अंदाजा लगाया जा सकता है। दोनों टीमें जीत के लिए कोई भी कीमत अदा करने को तैयार होती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था आज ही के दिन यानी 15 मार्च 1975 को। हॉकी वर्ल्ड कप का खिताबी मुकाबला कुआलालंपुर (मलेशिया) में खेला गया था।

रोमांचक महामुकाबले में टीम इंडिया ने 2-1 से अपने चिर -प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को परास्त करते हुए वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था।

भारत की जीत के दो हीरो

भारत को पहली बार वर्ल्ड कप जितवाने में जो खिलाड़ी हीरो रहे वे थे हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार सिंह और पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ असलम शेर खान। असलम शेर खान ने सेमीफाइनल में भारत के लिए मलेशिया के खिलाफ बराबरी दिलाने वाला अहम गोल दागा था। अशोक कुमार ने भारत के लिए वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में निर्णायक गोल कर वर्ल्ड कप भारत की झोली में डाला था।

जब पाक ने मचाई हायतौबा

अशोक कुमार के इस गोल पर पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने काफी हायतौबा मचाई थी। दरअसल, अशोक कुमार ने इतनी तेजी से गेंद को फ्लिक कर गोल में डाला था कि तब भारतीय मूल के मलेशियाई अंपायर जी. विजयानाथन तक को ही यह ठीक से पता नहीं चल पाया कि गेंद आखिर गोल में कैसे गई। लेकिन अंतत: जब विजयनाथन ने गोल दे दिया तो पाकिस्तान ने उन पर पक्षपात का आरोप भी मढ़ा।

फाइनल में भारत छोड़ चुका था उम्मीद

पाकिस्तान ने जब भारत के खिलाफ फाइनल में जाहिद के गोल से शुरुआती बढ़त ले ली तो कप्तान अजित पाल सिंह एकबारगी खिताब जीतने की उम्मीद छोड़ चुके थे। ऐसे में अशोक कुमार, गोविंदा और सुरजीत सिंह और हाफ लाइन के खिलाड़ी वरींदर सिंह ने कप्तान को भरोसा दिलाया अभी कुछ नहीं बिगड़ा है और हम अभी भी जीत सकते हैं। सुरजीत ने अपनी बात को सही साबित करते हुए भारत को 25वें मिनट में गोल कर एक-एक की बराबरी दिलाई और फिर अशोक कुमार के यादगार गोल से भारत ने खिताब अपने नाम किया।

मलेशियाई दर्शक थे भारत के साथ

भारत के लिए क्वालालंपुर घर से बाहर घर जैसा था। यहां बसे भारतीय मूल के लोगों ने इंडियन टीम का जमकर समर्थन किया। भारत के कोच बोधी को एक शख्स रोज अलग-अलग रंग की पट्टियां देकर जाता और टीम के खिलाड़ी इसे अपनी जेब में रख कर मैच खेलते। भारत इस पूरे वर्ल्ड कप में केवल एक मैच अर्जेंटीना के खिलाफ हारा, वह भी बेवजह प्रयोग करने के कारण।

होटल में तैयार हुई थी पाकिस्तान को हराने की स्क्रिप्ट

भारत की जीत के नायक रहे अशोक कुमार सिंह बताते हैं, ‘1975 में भारतीय टीम के वर्ल्ड कप में हमारी टीम जिस होटल में ठहरी थी उसकी लॉबी में ही वर्ल्ड कप की ‘अनुकृति’ रखी थी। हमारी टीम का हर खिलाड़ी लॉबी से जाते हुए हसरत भरी निगाहों से उसे देखते। हमने ठान लिया था कि वर्ल्ड कप को जीत कर ही भारत लौटेंगे। सही मायनों में ट्रोफी की यही अनुकृति हमारे 1975 में वर्ल्ड कप जीतने का सबब बनी। मुझे असलम शेर का सेमीफाइनल में मलेशिया के खिलाफ बराबरी दिलाने वाला तथा फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ सुरजीत सिंह का गोल आज भी रोमांचित करता है। सुरजीत का गोल मेरे और असलम शेर के गोल से किसी तरह से कम नहीं था।’

भारत का सफर

भारत ने इंग्लैंड का 2-1 से हराया।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया से मैच एक-एक से ड्रॉ खेला।
भारत ने घाना को 7-0 से धोया।
भारत की टीम अर्जेंटीना से 1-2 से हारी।
भारत ने जर्मनी को 3-1 से हराया।

सेमीफाइनल

भारत ने मलेशिया को 3-2 से हराया।

फाइनल

भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराया।
टॉप थ्री
गोल्ड मेडल : भारत
सिल्वर मेडल : पाकिस्तान
ब्रॉन्ज मेडल: मलेशिया

भारतीय टीम

अजित पाल सिंह (कप्तान), लेसली फर्नांडीज , अशोक दीवान, माइकल किंडो, सुरजीत सिंह, असलम शेर खान, वीरेंद सिंह, ओंकार सिंह, मोहिंदर सिंह, वी. जे फिलिप्स, बी.हरचरण सिंह, शिवाजी पवार, अशोक कुमार सिंह, बी. पी. गोविंदा, बी. पी. कालिया।

टॉप गोल स्कोरर

टाइज क्रूज (हॉलैंड): 7 गोल
मंसूर सीनियर(पाकिस्तान) : 7 गोल
एस. ओतलोवस्की (पोलैंड ): 7 गोल
सी. पाओलोची (अर्जेंटीना): 6 गोल
जिमी इरवाइन (ऑस्ट्रेलिया): 5 गोल
एस. शिविक (इंग्लैंड)

-एजेंसियां