मध्य प्रदेश: इंदौर में पहली बार किसी युवती को पॉक्सो एक्ट के तहत सुनाई गई सजा

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बाणगंगा थाने में दर्ज हुआ था मामला

परिजनों के मुताबिक उनका बच्चा काफी दिनों से लापता था। लगातार तलाश के बाद उन्होंने थाने का रुख किया। परिवार ने बाणगंगा थाने में लापता बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने बच्चे की तलाश शुरू की। किसी तरह से लापता बच्चे का पता लगाकर उसे इंदौर लाया गया। जिसके बाद पुलिस ने नाबालिक लड़के से बात की, जिसमें उन्हें पूरी घटना का पता चला।

लड़की को 10 साल सश्रम कारावास की सजा

बस फिर क्या था, पुलिस ने एक्शन लिया और आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। मामला तब से कोर्ट में विचाराधीन था, जिस पर बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। इंदौर में विशेष न्यायाधीश ने आरोपी युवती को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। नाबालिग लड़के के शारीरिक शोषण में पॉक्सो एक्ट में कोर्ट ने पहली बार किसी युवती को सजा सुनाई है।

क्या है पॉक्सो एक्ट?

किसी भी नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का शारीरिक शोषण पॉक्सो एक्ट के दायरे में आता है। यह कानून नाबालिग लड़का और लड़की, दोनों को बचाता है। ऐसे केस की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हरासमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है।

Compiled: up18 News


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