अदालत के फैसले को खारिज नहीं कर सकती विधायिका, नया कानून लागू कर सकती है: CJI डीवाई चंद्रचूड़

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सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि जब वे मुकदमों का फैसला करेंगे तो समाज क्या कहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा तथा न्यायपालिका में यही फर्क है।

विधायिका क्या कर सकती है क्या नहीं…

उन्होंने कहा, ‘इसकी एक सीमा है कि अदालत का फैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर फैसला दिया जाता है और इसमें कानून में खामी का जिक्र किया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है।’

अदालत के फैसले को खारिज नहीं कर सकते

सीजेआई ने कहा, ‘विधायिका यह नहीं कह सकती कि हमें लगता है कि फैसला गलत है और इसलिए हम फैसले को खारिज करते हैं। विधायिका किसी भी अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश मुकदमों का फैसला करते समय संवैधानिक नैतिकता को ध्यान में रखते हैं, न कि सामाजिक नैतिकता को। इस साल कम से कम 72 हजार मुकदमों का समाधान किया है और अभी डेढ़ महीना बाकी है।

समान अवसर उपलब्ध हों तो..

न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका में प्रवेश स्तर पर संरचनात्मक बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि यदि समान अवसर उपलब्ध होंगे तो अधिक महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी। इसके अलावा कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम को विश्व कप के लिए शुभकामनाएं दीं।

Compiled: up18 News


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