लाहौर हाई कोर्ट की मुल्तान बेंच ने मॉडल और एक्ट्रेस क़ंदील बलोच की हत्या के मुक़दमे में मुख्य अभियुक्त और पीड़िता के भाई मोहम्मद वसीम को उम्र क़ैद की सज़ा से बरी कर दिया है.
लाहौर हाईकोर्ट की मुल्तान बेंच के जस्टिस सुहैल नासिर ने दोनों पक्षों में सुलह होने और गवाहों के बयानों से पलटने पर मुख्य अभियुक्त को बरी कर दिया है. यह फ़ैसला मुख्य अभियुक्त मोहम्मद वसीम की मॉडल कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील पर सुनवाई करते हुए दिया गया है.
अभियुक्त मोहम्मद वसीम की ओर से एडवोकेट सरदार महबूब ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं. ग़ौरतलब है कि मुल्तान की मॉडल कोर्ट ने 27 सितंबर 2019 को क़ंदील बलोच हत्याकांड में फ़ैसला सुनाते हुए मुख्य अभियुक्त और पीड़िता के भाई मोहम्मद वसीम को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
सोशल मीडिया पर अपने बेबाक अंदाज़ के लिए पहचानी जाने वाली क़ंदील बलोच की जुलाई 2016 में हत्या कर दी गई थी, तब वह अपने घर में मौजूद थीं. पुलिस जांच में सामने आया था कि उनकी हत्या गला दबाकर की गई थी.
क़ंदील बलोच के वकील सफ़दर अब्बास शाह ने कहा कि क़ंदील के माता-पिता ने, उन्हें क़ंदील का वकील नियुक्त किया था जबकि एडवोकेट महबूब को क़ंदील के भाइयों का वकील नियुक्त किया गया था.
उन्होंने बताया कि “मैंने क़ंदील के माता-पिता की तरफ़ से राज़ीनामा जमा कराया था कि अगर अदालत वसीम को बरी करती है तो इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद वसीम के वकील ने अदालत में बरी किये जाने की रिट दायर की और सोमवार को उन्हें बरी कर दिया गया.”
उन्होंने आगे कहा कि “क़ंदील के भाई को दो चीज़ों के आधार पर बरी किया गया है. एक हमारी तरफ़ से जमा कराया गया राज़ीनामा और दूसरा अदालत में पुलिस की तरफ़ से पेश किया गया 164 का बयान है. इसी के आधार पर वसीम की तरफ़ से ये कहा गया कि ‘पुलिस ने मुझे धमका कर इक़बालिया बयान लिया था जबकि मैंने क़ंदील को नहीं मारा’.”
माफ़ी के लिए याचिका
एडवोकेट सफ़दर अब्बास ने आगे कहा कि क़ंदील के माता-पिता चाहते थे कि उनके बेटे इस केस से बरी हो जाएं, लेकिन एक महीना पहले क़ंदील के पिता की भी मृत्यु हो गई थी जो इस केस में वादी थे.
मुल्तान की मॉडल अदालत ने साल 2019 में इस मुक़दमे के एक अभियुक्त मोहम्मद आरिफ़ को वाॉन्टेड घोषित किया था जबकि क़ंदील के भाई असलम शाहीन और धार्मिक स्कॉलर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के उलेमा विंग के पूर्व सदस्य मुफ़्ती अब्दुल क़वी समेत पांच अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था.
जज ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘मोहम्मद वसीम को धारा 311 के तहत उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई जाती है क्योंकि अभियोजन पक्ष अन्य अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आरोप साबित करने में विफल रहा है.’
ध्यान रहे कि मोहम्मद वसीम ने अपनी गिरफ़्तारी के बाद क़बूल किया था कि ये अपराध उन्होंने किया है और इसका कारण यह बताया था कि ‘क़ंदील बलोच परिवार की बदनामी की वजह बन रही थी’ लेकिन बाद में जब औपचारिक रूप से चार्जशीट दाख़िल की गई तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया था.
इससे पहले क़ंदील के पिता ने अदालत में मोहम्मद वसीम और असलम शाहीन के लिए क्षमा याचना दाखिल की थी जिसे ख़ारिज कर दिया गया था.
इस मुक़दमे के अभियुक्तों में क़ंदील के दो भाई मोहम्मद वसीम और असलम शाहीन के अलावा उनके क़रीबी रिश्तेदार हक़ नवाज़, ज़फ़र इक़बाल, मोहम्मद आरिफ़, मुफ्ती अब्दुल क़वी और अब्दुल बासित शामिल थे.
मोहम्मद वसीम और हक़ नवाज़ इस मामले में मुख्य अभियुक्त थे जबकि अब्दुल बासित टैक्सी ड्राइवर थे और उन पर क़ंदील बलोच की हत्या के बाद मोहम्मद वसीम और हक़ नवाज़ को भागने में मदद करने का आरोप लगाया गया था.
इस मुक़दमे को मुल्तान के डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज की अदालत से मॉडल कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था ताकि मुक़दमे का जल्द से जल्द फ़ैसला हो सके. इसी अदालत ने साल 2019 में ही पीड़िता के पिता की तरफ़ से दोनों बेटों के लिए दायर की गई क्षमा याचना को रद्द कर दिया था.
अदालत ने कहा था कि ऑनर किलिंग के मामलों में वादी द्वारा दायर की गई सुलह या क्षमादान की अर्ज़ी को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
छह साल पहले जब क़ंदील बलोच की हत्या की गई थी, तब पीड़िता के पिता और वादी मोहम्मद अज़ीम ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वह अभियुक्तों को किसी भी क़ीमत पर माफ़ नहीं करेंगे.
क़ंदील बलोच कौन थीं?
क़ंदील बलोच पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के दक्षिणी ज़िले मुल्तान के एक ग़रीब परिवार से थीं. उनका असली नाम फ़ौजिया अज़ीम था लेकिन उन्हें शोहरत क़ंदील बलोच के नाम से मिली थी.
उन्हें पाकिस्तान की पहली सोशल मीडिया सेलिब्रिटी कहा जाता है और सोशल मीडिया पर उन्हें ये शोहरत अपने उस बेबाक अंदाज़ की वजह से मिली जो बाद में उनकी हत्या की भी वजह बनी.
सोशल मीडिया पर उनके हज़ारों प्रशंसक थे और उनकी हत्या से पहले पाकिस्तान में इंटरनेट पर सबसे ज़्यादा सर्च की जाने वाली दस शख़्सियतों में उनका नाम भी शामिल था.
साल 2014 में शोहरत हासिल करने के बाद क़ंदील की निजी ज़िंदगी की जानकारी भी सामने आई थी. यह भी पता चला कि उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई थी और उनका एक बेटा भी है. क़ंदील ने अपने पति के बारे में दावा किया था कि ‘वह एक ज़ालिम व्यक्ति था जो उसे मारता-पीटता था और इसीलिए वो अपने बेटे के साथ उसे छोड़ कर आ गई थी.’
उन्होंने कहा कि बेटे का ख़र्च उठाने में असमर्थ होने के कारण, बाद में उन्होंने उसे उसके पिता को सौंप दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ क़ंदील ने उसके बाद से अपने बेटे को नहीं देखा था.
हालांकि, बेटे को उसके पिता के पास भेजने के बाद ही फ़ौजिया अज़ीम क़ंदील बलोच बनी. उनकी बेबाक हरकतों को देखते हुए ये आशंका ज़ाहिर की गई थी कि उनकी जान को ख़तरा हो सकता है, लेकिन क़ंदील ने अपने अंदाज़ और विचारों के लिए कभी माफ़ी नहीं मांगी.
बीबीसी उर्दू को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मुझे धमकियां मिलती हैं लेकिन मेरा यक़ीन है कि मौत का समय निश्चित है और जब आपकी मौत का समय आता है तो आपको मरना ही पड़ता है.”
क़ंदील केस की वजह से ऑनर किलिंग के क़ानून में संशोधन
साल 2016 में पाकिस्तान की संसद ने क़ंदील बलोच की हत्या की प्रतिक्रिया में शुरू हुए आंदोलन के बाद ऑनर किलिंग क़ानून में संशोधन पारित किया था. इसके अनुसार मृतक के परिजनों की तरफ़ से क्षमा किये जाने के बाद भी हत्यारे को उम्र क़ैद या 25 साल क़ैद की सज़ा होगी.
इससे पहले पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के ज़्य़ादातर मामलों में यह पाया गया था कि वादी हत्यारे के माता-पिता या भाई-बहन होते थे, जो उन्हें माफ़ कर देते थे, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा ख़त्म हो जाता था.
क़ंदील बलोच की हत्या के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसकी चर्चा हुई और यह घटना अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी आई और पाकिस्तान में ऑनर किलिंग की घटनाओं के बढ़ने का कारण इस संबंध में उचित क़ानून का ना होना बताया गया था.
-एजेंसियां
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