दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रचार इस समय अपने चरम पर है। भारतीय राजनीति में अपनी नौटंकियों के लिए मशहूर हो चुके आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव में अपनी जमीन को खिसकती देखकर कुछ बौखलाए से लग रहे हैं। उन्होंने उन्होंने अपने चिर परिचित शैली में हरियाणा पर आरोप लगाया है कि उसने दिल्ली के लिए पानी की सप्लाई बाधित करने और यमुना के पानी को जहरीला बनाने का काम किया है.
अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार यमुना के पानी में अमोनिया मिला रही है। स्पष्ट है कि चुनाव जीतने के लिए अरविंद केजरीवाल ने पूर्णतया वाहियात आरोप हरियाणा के लोगों पर लगाया है। चाहे किसी भी पार्टी की सरकार किसी राज्य में क्यों न हो, वह कभी भी पड़ोसी राज्यों में जहरीला पानी भेजने या वहां के लोगों को मारने का काम कभी नहीं कर सकती। वैसे भी जब भाजपा स्वयं एक प्रमुख पार्टी के रूप में चुनाव जीतकर सरकार बनाने के लिए दिल्ली में संघर्ष कर रही हो , तब तो किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं सोचा जा सकता कि हरियाणा की भाजपा सरकार दिल्ली के लिए अमोनिया मिले पानी को भेजेगी।
सचमुच चुनाव जीतने के लिए कोई नेता कितने निम्नस्तरीय आरोप अपने विपक्षी पर लगा सकता है, यह केजरीवाल से ही सीखा जा सकता है। हमारा मानना है कि इस प्रकार के आरोप को केवल तात्कालिक आधार पर लगाया गया आरोप नहीं मानना चाहिए।
यदि कल को राज्यों में परस्पर ऐसी दुर्भावना पैदा हो गई तो उसके परिणाम क्या होंगे ? यह विचारणीय है कि यदि कल को हरियाणा के लोगों ने झुंझला कर कुछ ऐसा करना आरंभ कर दिया कि पड़ोसी राज्यों के लिए उनके यहां से निकलने वाला पानी जहरीला हो जाए तो क्या होगा ?
वास्तव में मानवता अभी जीवित है। जिसके चलते जनसाधारण ऐसा कोई काम नहीं कर सकते जिससे पड़ोसी या दूर के राज्यों के लोगों को प्राण हानि होने का भय हो। लेकिन राजनीतिक लोग यदि उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों तो इससे अधिक दुखद कुछ नहीं हो सकता।
पानी को भारत की सनातन परंपरा में देवता माना गया है । जिसमें थूकना तक भी पाप होता है। केजरीवाल जैसे धर्मनिरपेक्ष नास्तिकों ने ही लोगों को यमुना जैसी पवित्र नदियों में गंदे नाले डालने की राजनीतिक सीख देकर उन्हें अपनी सनातन की मान्य परंपराओं से तोड़ने का पाप किया है। ‘ इंडिया गठबंधन’ का कोई भी नेता यमुना के अतिरिक्त गंगा जैसी पवित्र नदी में जिन-जिन शहरों में कमेलों का खून आकर मिलता है, उनके मालिकों से यह नहीं कह सकते कि मानवता के विरुद्ध ऐसा पाप मत करो, क्योंकि केजरीवाल और इन जैसे धर्मनिरपेक्ष नेताओं को उन कमेलों वालों के वर्ग के लोगों का वोट चाहिए।
हम सभी जानते हैं कि दिल्ली के लिए उत्तर प्रदेश गंगा नदी से और पंजाब भाखरा नांगल से पानी की आपूर्ति करते हैं। यह आपूर्ति केवल राज्य राज्य के संबंधों के बीच होने वाली आपूर्ति ही नहीं है, इसके पीछे हमारे राष्ट्रीय परिवेश को समरस और मानवीय बनाए रखने वाले भावनात्मक संबंध भी हैं । जिनके अंतर्गत हम यह मानते हैं कि दिल्लीवासी भी अपने भाई हैं। वैसे भी दिल्ली में सारे भारत के लोग निवास करते मिल जाते हैं।
2023 की एक रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली को हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से 22.1 करोड़ गैलन पानी मिलता है। इतने सारे पानी को जानबूझकर प्रदूषणयुक्त करने या दिल्ली वालों को मारने की भावना से पानी को जहरीला कर भेजने की प्रवृत्ति कभी भी नहीं पनप सकती। उपरोक्त पानी से ही राजधानी वालों का काम नहीं चलता। राजधानी में मौजूद कुंए, ट्यूबवेल और भूगर्भीय जल से 9 करोड़ गैलन पानी आता है। वर्ष 2024 में यह आंकड़ा और आगे बढ़ गया है। वर्तमान में दिल्ली को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की आवश्यकता होती है।
यह भी एक सर्वविदित तथ्य है कि दिल्ली अपनी आवश्यकताओं को अपने आप पूरा नहीं कर सकती। चाहे खाद्य पदार्थ हों, चाहे दूध जैसे पेय पदार्थ हों, इसे दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसीलिए दिल्ली को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सका है। यह अपनी आवश्यकताओं का 90% पानी भी बाहर से ही प्राप्त करती है।
मुफ्त की रेवड़ी बांटने का लालच देकर आम आदमी पार्टी की सरकार पिछले 10 वर्ष से दिल्ली का बंटाधार करती रही है। इसने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दी है, जिससी दिल्ली वालों का किसी प्रकार से भला हो सके । किसी को बस का किराया मुक्त करके अपने साथ लगाने का प्रयास किया गया है तो किसी को मोहल्ला क्लीनिक आदि के माध्यम से बांधने का प्रयास किया गया है । दिल्ली के बुनियादी विकास को सुव्यवस्थित करने की ओर सरकार का अपेक्षित ध्यान नहीं गया। हरकेश नगर, संगम विहार आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर पानी की किल्लत है। अब से लगभग 3 वर्ष पहले मैं संगम विहार अपने एक परिजन के यहां कार्यक्रम में गया था। जहां पर लोगों के लिए पानी सबसे बड़ी समस्या है। लोगों का स्पष्ट कहना था कि केजरीवाल ने केवल आश्वासन दिया है ,काम कुछ नहीं किया है।
केजरीवाल सरकार को प्रयोग किए गए पानी को बर्बादी से रोकने के लिए उसे धरती में उतारने का काम करना चाहिए था। जिससे वह भूगर्भीय जल के स्तर को ऊपर बनाए रखने में सहायता करता । परंतु इसके विपरीत कार्य होता रहा है। सारा पानी बिखरकर गंदे नालों के माध्यम से उल्टा यमुना में आकर पड़ता है । दिल्ली के बाद की यमुना का पानी और भी अधिक प्रदूषणयुक्त और जहरीला हो जाता है। जिसे दिल्ली उपहार के रूप में दूसरे राज्यों को देती है । मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले केजरीवाल ने इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया ? हरियाणा से अपेक्षाकृत स्वच्छ पानी लेकर दिल्ली को और भी अधिक प्रदूषण युक्त कर जब केजरीवाल हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इसे सौंपते हैं तो इसका जल सचमुच विषाक्त हो जाता है । एक झूठ को बोलकर केजरीवाल एक सच्चाई के जाल में यदि फंस गए तो उनको उससे निकलना कठिन हो जाएगा।
यदि दिल्ली की जनता ने केजरीवाल के कुव्यवस्था युक्त शासन प्रशासन की सच्चाई को समझ कर वोट किया तो यह सच है कि इस बार आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के पड़ोस से बहने वाली यमुना नदी के पानी में डूबकर समाप्त हो जाएगी।
डॉ राकेश कुमार आर्य
( लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं )