कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर हैं पॉक्सो और आईपीसी

National

पॉक्सो नियम पर्सनल लॉ से ऊपर

जस्टिस राजेंद्र बदामीकर ने अपने फैसले में कहा, ‘पॉक्सो अधिनियम एक विशेष कानून है। उन्होंने कहा कि यह पर्सनल लॉ से ऊपर है और पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन गतिविधि के लिए स्वीकार्य आयु 18 साल ही है।’

27 साल के मुस्लिम युवक पर आया फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 27 वर्षीय एक मुस्लिम युवक की याचिका पर यह फैसला सुनाया। युवक की पत्नी की आयु 17 वर्ष है और वह गर्भवती है। जब वह जांच के लिए अस्पताल आई तो चिकित्सा अधिकारी ने पुलिस को उसकी आयु के बारे में बताया और पति के खिलाफ बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया। हालांकि, अदालत ने पति की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया है।

एक अन्य मामले में जमानत याचिका खारिज

जस्टिस बदामीकर ने ही एक अन्य मामले में 19 वर्षीय आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। आरोपी 16 वर्षीय किशोरी को कथित रूप से बहला-फुसलाकर 6 अप्रैल, 2022 को अपने साथ मैसुरु ले गया, जहां उसने होटल के एक कमरे में नाबालिग लड़की से दो बार रेप किया। इस मामले में चिक्कमगलुरु की निचली अदालत में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है।

पर्सनल लॉ की आड़ में जमानत का अनुरोध नहीं

आरोपी के वकील ने हाईकोर्ट के सामने जमानत याचिका पेश करते हुए यह तर्क दिया, ‘दोनों पक्ष मुसलमान हैं इसलिए यौवन शुरू होने की उम्र को ध्यान में रखा जाना चाहिए।’ इसी पर अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी, पर्सनल लॉ से ऊपर हैं और ‘याचिकाकर्ता पर्सनल लॉ की आड़ में नियमित जमानत का अनुरोध नहीं कर सकता।

-Compiled by up18 News