12 अप्रैल को सर्वार्थ ​सिद्धि योग में मनाई जाएगी कामदा एकादशी, ​श्रीहरि की कृपा से पूरी होंगी मनोकामनाएं

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गृहस्थ द्वारा कामदा एकादशी व्रत 12 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से पापों से मुक्ति मिलती है और दुख दूर होते हैं। ​श्रीहरि की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 12 अप्रैल को सुबह साढ़े चार बजे शुरु हो रही है, यह 13 अप्रैल को सुबह 05:02 बजे तक मान्य है। इस दिन सुबह से ही सर्वार्थ ​सिद्धि योग बना हुआ है. सुबह 05:59 बजे से लेकर सुबह 08:35 बजे तक सर्वार्थ ​सिद्धि योग है। आप चाहें तो प्रात: ही स्नान के बाद कामदा एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस दिन का शुभ समय 11:57 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक है।

क्‍या होता है सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वार्थ सिद्धि योग एक अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग एक बहुत ही शुभ समय है जो कि नक्षत्र वार की स्थिति के आधार पर गणना किया जाता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला होता है।

कामदा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

1. 12 अप्रैल को प्रात: स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहन लें, फिर पूजा स्थान की सफाई करें। वहां पर एक चौकी स्थापित करें।

2. उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर कामदा एकादशी व्रत का संकल्प लें।

3. अब पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। उनको पीले फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, तुलसी का पत्ता, सुपारी, पान, चंदन, केला आदि चढ़ाएं. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें।

4. फिर विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें, सबसे अंत में भगवान विष्णु की आरती करें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु से पापों से मुक्ति एवं दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें।

5. पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को केला, अनाज, पीले वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान करें।

6. फलाहार करते हुए व्रत रहें। शाम के समय में आरती करें और रात्रि में भगवान विष्णु का जागरण करें।

7. अगले दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. 13 अप्रैल को दोपहर 01:39 बजे के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. व्रत का पारण शाम 04:12 बजे तक कर लेना है।

8. इस व्रत को करने से राक्षस योनि से मुक्ति मिलती है और पाप एवं कष्ट भी मिट जाते हैं।


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