16 जून 2013: केदारनाथ धाम का वह प्रलयंकारी मंजर, जिन्होंने प्रत्यक्ष देखा, उनकी आंखों में हमेशा के लिए समा गया

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आपदा के तुरंत बाद शुरू हुआ पुनर्निर्माण

बता दें कि भोलेनाथ की नगरी केदारनाथ धाम को श्रद्धा और आस्था की नगरी भी कहा जाता है। हर साल लाखों की तादात में श्रद्धालु यहां बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं।

16 जून 2023 से ठीक दस साल पहले भोलेनाथ की यही धार्मिक नगरी प्रलय का ऐसा मंजर लेकर आई, जिसे देखकर और सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। सबके मन में यही प्रश्न था कि केदार धाम इससे उबर पाएगा अथवा नहीं। हालांकि, आपदा के तुरंत बाद केदारनाथ के पुनर्निर्माण कसरत शुरू हो गई थी, लेकिन इनमें गति आई वर्ष 2014 से।

पुनर्निर्माण के बाद और बढ़ा आकर्षण

इन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप हुए पुनर्निर्माण कार्यों की बदौलत केदारपुरी न केवल दिव्य और भव्य स्वरूप में निखरी है, बल्कि इसका आकर्षण और भी बढ़ा है। धाम में प्रतिवर्ष बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या इसका उदाहरण है। मास्टर प्लान के मुताबिक, केदार धाम में पुननिर्माण का कार्य अभी जारी है, जिससे यह धाम और भी नए प्रतिमान स्थापित करेगा।

मास्टर प्लान के अनुरूप किए गए थे कार्य

देवभूमि और बाबा केदारनाथ के प्रति अगाध आस्था रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण को अपनी स्वप्निल परियोजनाओं में शामिल किया। इसके बाद केदारनाथ को उसके दिव्य व भव्य स्वरूप के अनुरूप निखारने को मास्टर प्लान तैयार हुआ और इसी के अनुरूप काम शुरू हुए। प्रधानमंत्री मोदी के स्वयं इनका अनुश्रवण किए जाने से कार्यों में तेजी आई और आज परिणाम सबके सामने है।

यह था तबाही का कारण

केदारनाथ धाम के पुननिर्माण के लिए मास्टर प्लान बनाया गया। जिसके जरिए सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर पुननिर्माण कार्यों पर जोर दिया गया। दरअसल, साल 2013 में उफान पर आई मंदाकिनी और सरस्वती नदियों का रुख मंदिर की ओर हो गया। जिसने पूरे केदारनाथ धाम में तबाही मचा दी। प्रलय आने के बाद मंदिर को छोड़ बाकी सब तहस-नहस हो गया।

इस तरह से कराए गए पुननिर्माण कार्य

इसे देखते हुए पुनर्निर्माण कार्यों में सबसे पहले मंदिर के ठीक पीछे के इस हिस्से में थ्री-लेयर की 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार बनाई गई। साथ ही मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर सुरक्षा कार्य कराए गए। इसके अलावा मंदिर के आंगन को खुला बनाया गया तो ठीक सामने दो सौ मीटर लंबे रास्ते का निर्माण हुआ।

शंकराचार्य की समाधि

जल आपदा में आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थली पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। जिसके बाद उसी स्थान पर इसे नए भव्य स्वरूप में बनाया गया है। यहां दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह अब आकर्षण का केंद्र है। पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया था। जिसे सही कराया गया। केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चौड़ा किया गया है।

अब तक हो चुके हैं ये कार्य

– मंदिर परिसर का खुला-खुला आंगन।
– शंकराचार्य की समाधि स्थली।
– आस्था पथ और घाट।
– सेंट्रल स्ट्रीट।
– यात्री आवासीय ब्लाक।
– तीन ध्यान गुफाएं।
– मंदिर के पीछे थ्री-लेयर सुरक्षा दीवार।
– मंदाकिनी व सरस्वती पर सुरक्षा कार्य।
– मार्गीय व अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास व सुधारीकरण।
– तीर्थ पुरोहितों के 210 आवास।
– गरुड़चट्टी-केदारनाथ मार्ग।
– आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्वास्थ्य सुविधा।
– वीआइपी व मुख्य हेलीपैड।
– ईशानेश्वर मंदिर।
– हाट बाजार।

इन निर्माणाधीन व शेष कार्य पर नजर

– बीकेटीसी का भवन निर्माणाधीन।
– पुलिस चौकी का भवन निर्माणाधीन।
– शेष तीर्थ पुरोहितों के लिए आवास।
– गरुड़चट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग।
– मंदिर के ठीक पीछे ब्रह्मवाटिका।
– सरस्वती नदी पर पुल।
– चिकित्सालय भवन।
– अतिथि गृह का निर्माण।

Compiled: up18 News