दिल्ली, 18 नवंबर: जिम्वाम्बे के किंग की बेटी निगवेन्या एसिडिटी, पैट की जलन और एच.पायलोरी बीमारी से पीड़ित थी और पिछ्ले कई सालों से कई देशों में जाकर एलोपेथिक एन्टीबयोटिक और एसिड घटाने वाली दवाईयॉ से अपना इलाज करवा चुकी थी। लेकिन उनको एलोपेथिक दवाईयों से आराम नहीं मिला था तो उन्होंने आयुर्वेदाचार्य ड़ॉ हरीश वर्मा से सम्पर्क किया और अपना आयुर्वेदिक इलाज करवाया । अब वे पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गई है ।
यह जानकारी संवाददाता सम्मेलन में डॉ हरीश वर्मा ने दी। डॉ हरीश वर्मा ने बताया कि एच पायलोरी एक बैक्टीरिया है जो रोगियों के पेट में जलन, दर्द, अपच ,पेट फूलना , मितली , उल्टी, बार बार डकार आदि लक्षण पैदा करके गैस्ट्राईटिस या पेप्टिक अल्सर और अन्य पेट की बिमारियों का कारण बनता है । एच पाइलोरी का संक्रमण मुख्यतः संक्रमित भोजन और संक्रमित पानी के सेवन से होता है । एच पाइलोरी संक्रमण का निदान रक्त परीक्षण और स्टूल परीक्षण, यूरेस ब्रीथ , एंडोस्कोपी और बायोप्सी के तरीके से किया जाता है । एलोपेथिक प्रणाली में एच पाईलोरी संक्रमण के उपचार के लिये आमतौर पर एंटीबायोटिक्स और एसिड घटाने वाली दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
डॉ हरीश वर्मा ने बताया कि उन्होंने आयुर्वेद के प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों के आधार पर आयुर्वेदिक एक फार्मूला तैयार किया है जो गैस,एसिडिटी, पैट में जलन और एच.पायलोरी के रोगियॉ के लिये काफ़ी कारगर है। डॉ वर्मा ने बताया कि मुलेठी, अमलकी, अलोवेरा , शतावरी, सौंफ, जीरा, त्रिफला आदि आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के दो प्रकार के समूहों को एक खास अनुपात के मिश्रण से यह फार्मूला तैयार किया गया है । डॉ वर्मा ने कहा कि गैस्ट्राइटिस रोग के रोगियों के लिये तैयार किया गया दो प्रकार फार्मूला एक ही समय पर दिया जाता है । यह फार्मूला एलोपेथिक दवाओं के मुकाबले बहुत ही सस्ता है तथा इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। रोगियों के लिये हेल्पलाइन नंबर 9910672020 भी जारी किया गया है । उचित आहार, नियमित व्यायाम, स्वस्थ्य जीवन शैली और आयुर्वेदिक उपचार न केवल लक्षणों को कम करता है बल्कि रोग को जड़ से खत्म करने में रामबाण है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी कदम उठाने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।