जापान: यौन उत्पीड़न कानूनों में सुधार के लिए आने जा रहा है लैंडमार्क बिल

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जाहिर है अगर सब कुछ अनुकूल रहा तो जापान में बलात्कार की नई परिभाषा लिखी जाएगी. और यह भारत के कानून से काफी कुछ मिलता जुलता होगा. वैसे जापान में साल 2017 में भी रेप के खिलाफ कानून में बदलाव किया गया था लेकिन बाद में उसे भी अधूरा और महिला की गरिमा के खिलाफ माना गया.

जापान में बढ़े रेप के मामले

रिकॉर्ड के मुताबिक जापान में बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं. साल 2021 में जहां 1.39 हजार रेप के मामले दर्ज हुए थे वहीं साल 2022 में ये संख्या 1.66 हजार हो गई. जबकि जबरन अश्लीलता के मामले की संख्या भी जहां 2021 में 4.28 हजार थी जो 2022 में बढ़कर करीब 4.7 हजार हो गई.

भारत के मुकाबले कमजोर है यहां का कानून

जापान में फिलहाल यह कानून इतना लचर है कि बलात्कारी बड़ी आसानी से छूट जाते हैं और पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पाता. दुनिया के तमाम देशों के कानूनों का नजीर देखते हुए जापान की जनता के बीच धीरे-धीरे ऐसे मामलों पर गुस्सा बढ़ता जा रहा है. जापान में जबरदस्ती यौन संबंध को ही बलात्कार माना गया है जिसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे पर्याप्त नहीं माना है.

जबकि भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध बहुत सख्त किये जा चुके हैं और दायरा विस्तृत हो चुका है. भारत में बिना सहमति के यौन संबंध को बलात्कार माना गया है जबकि जापान में फिलहाल ऐसा नहीं है. भारत में निर्भया केस के बाद यौन उत्पीड़न का दायरा भी काफी बढ़ाया जा चुका है. दुनिया के केई देशों में भारत के कानून की चर्चा होती है.

जापान में मानवाधिकार कार्यकर्ता सालों से अपने देश के रेप कानून में बदलाव की मांग करते रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने भारतीय कानून की सराहना भी की थी. आंदोलनकारियों का कहना था कि जापान में रेप की घटना के बाद आरोपी पक्ष के साथ-साथ जजों की तरफ से भी केस पर ऐसी विवेचना पेश की जाती है कि आरोपी बरी हो जाता है.

किन वजहों से लचर है जापान का रेप कानून?

2017 में बदलाव के बावजूद जापान में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध पर रोकथाम लगाने वाले मौजूदा कानून की परिभाषा बहुत संकीर्ण है. यहां बलात्कार को ‘हमले’ या ‘धमकी’ के जरिए या ‘बेहोशी’ की हालत में किए गए अश्लील कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है. इसे सीधे तौर पर बलात्कार नहीं माना गया है. लेकिन नये कानून में ये निरस्त हो जाएगा.

एक उदाहरण से मामले को समझा जा सकता है. साल 2014 में टोक्यो में एक शख्स ने 15 साल की एक लड़की को एक दीवार की ओर धक्का देकर गिरा गिया और उसके साथ यौन संबंध बनाए. लेकिन कोर्ट में उस कुकृत्य को बलात्कार नहीं माना गया. नतीजा ये हुआ कि आरोपी को बरी कर दिया गया.

उस केस पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी के लिए युवती का विरोध सहना ज्यादा कठिन नहीं था. इसलिए उसने संबंध स्थापित कर लिये. गौरतलब है कि जापान में किशोरी को भी वयस्क का दर्जा हासिल है. यहां यौन सहमति की उम्र सिर्फ 13 साल है.

अब कैसा होगा जापान मेंरेप के खिलाफ नया कानून

जापान में बलात्कार के रूप में पहचाने जाने वाले केवल एक तिहाई केसों में ही अभियोग चलाया जाता है. और यही वजह जापान में बदलाव के लिए मांग की जाने लगी थी. साल 2019 में जापानी जनता तब सड़कों उतर आई तब एक ही महीने के भीतर यौन उत्पीड़न के चार मामले सामने आए. चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें सभी को बरी कर दिया गया.

जापानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नये कानून में किसी भी गैर-सहमति वाले यौन संबंध को बलात्कार माना जाएगा. यहां ‘नहीं’ का मतलब ‘नहीं’ होगा. रिपोर्ट के मुताबिक यौन संबंध की सहमति की उम्र भी 13 से बढ़ाकर 16 साल कर दी जाएगी. और कानून का दायरा बढ़ाया जाएगा. जैसा कि भारत में है.

रिपोर्ट के अनुसार किसी व्यक्ति की यौन क्रिया को गुप्त रूप से चित्रित करने या फिल्माने और किसी तीसरे व्यक्ति को ऐसी तस्वीरें या वीडियो शेयर करने पर भी दंडित करने का प्रावधान होगा. इसमें अपराधी को 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.

इसमें यह भी कहा गया है कि ज्यादा लोगों तक अश्लील वीडियो फैलाने वालों को 5 साल तक की जेल की सजा दी जाएगी.

-एजेंसी