जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने बताया जीवन से राग-द्वेष मिटाने का अचूक मंत्र

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आगरा: नेपाल केसरी और मानव मिलन संगठन के संस्थापक जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि लोगों के राग- द्वेष ने एक दूसरे में दुर्भावना पैदा कर दी है। धर्म के नाम पर भेदभाव किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। धर्म तो प्रेम, सद् भावना और करुणा का संदेश देता है।

जैन स्थानक, राजामंडी में हो रहे भक्तामर स्रोत अनुष्ठान के साथ-साथ रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिवस एवं मानव मिलन संगठन का स्थापना दिवस भी मनाया गया। जैन मुनि ने कहा कि आचार्य मांगतुंग भगवान की स्तुति करते हुए कहते हैं कि हे प्रभु, आपके पूजन से श्रद्धालुओं के मन में निर्भयता आ जाती है। शक्तिशाली शेर भी हाथी के मस्तक पर हमला करके उसकी गजमुक्ता खून सहित जमीन पर गिरा देता है। यदि व्यक्ति में अनूठी और सच्ची भक्ति आ जाए तो वही शेर शरणागत हो जाता है। भक्त के चरणों में गिर जाता है।

जैन मुनि ने कहा कि भगवान महावीर के समवशरण के चित्रों में हम आज भी देखते हैं कि एक नदी के किनारे पर शेर, हाथी, बकरी चीता पानी पी रहे हैं। वह भक्ति का ऐसा युग था कि शेर भी अपनी दुश्मनी भूल गया था । सभी में प्रेम और सद् भावना थी। उसका कारण यह है कि जो भगवान की भक्ति करता है, वह निर्भय होता है। संसार में वही अहिंसक कहलाने का अधिकारी होता है। भयभीत वह होते हैं, जिनके मन में पाप होता है, मन में अपराध छिपा होता है। जो निर्मल, सरल मन का होगा, उसके किसी का डर क्यों होगा। सत्यवादी को किसी का कोई डर नहीं होता।

बढ़ती वैमनस्यता की चर्चा करते हुए जैन मुनि ने कहा कि आज बड़ा मुश्किल हो गया है। समाज में तेजी से विघटन हो रहा है। मंदिरों को बांट ही नहीं दिया, बल्कि एक दूसरे के मंदिरों में ही नहीं जाते। हमें किसी भी धर्म की बुराई नहीं करनी चाहिए। राग-द्वेष से भरा व्यक्ति कभी धार्मिक नहीं हो सकता। मन में प्रेम, सद् भावना, सहिष्णुता होगी, तभी तो मानवता मन में आएगी।

जैन मुनि ने कहा कि आज अहिंसा दिवस है। पूरा विश्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिवस मना रहा है। महात्मा गांधी के जीवन में साधना व संयम था, जिससे उन्हें किसी का भय नहीं रहता था। यही वजह है कि जिस युग में लोग अपने पिता को याद नहीं करते, पूरा विश्व राष्ट्रपिता का जन्म दिवस मना रहा है।

गांधी जी का संस्मरण सुनाते हुए जैन मुनि ने कहा कि एक बार महात्मा गांधी एक विदेशी के पास बैठे चर्चा कर रहे थे। तभी एक सांप उनके कंधे पर रखे कंबल पर आ गया। सभी लोग भयभीत हो गए। लेकिन गांधी जी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। उन्होंने बड़ी सहजता के साथ उस नाग को उसी कंबल में लपेटा और दूर जा कर छोड़़ आए। गांधी जी की इस निर्भयता की चर्चा सभी जगह फैल गई। दूसरे दिन लोगों ने उनसे पूछा कि सांप को देख कर आपके मन में क्या भाव आए। गांधी जी ने कहा कि मैं समझ चुका था कि एक एक पल में ही यह जहरीला सांप मुझे डस लेगा और मेरी मृत्यु हो जाएगी। उसके बाद यहां बैठे लोग उस सांप को लाठियों से मार कर खत्म कर देंगे। यानि जरा सी असहजता से दोनों ही मारे जाएंगे। इसलिए मैं इस सांप की जान बचाने के लिए दूर ले जा कर छोड़ आया।

जैन मुनि ने कहा कि आज का युग ऐसा है कि अपना जीवन बचाने के लिए हजारों लोगों के प्राणों की आहुति लोग ले लेते हैं, लेकिन गांधी ने सांप की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। यही नहीं, गांधी जी को जिसने गोली मारी, उस हत्यारे के प्रति भी उनके मन में बैर नहीं था। हत्यारे के प्रति चेहरे पर कोई दुर्भावना नहीं थी। तभी तो वे राम-राम कहते हुए वे अमर हो गए।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सर्वोच्च पद मिला, लेकिन कभी परिग्रह नहीं किया, वे भगवान महावीर के सच्चे अनुयायी थे। उन्होंने दोनों ही महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कहा कि इन दोनों को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी, जब देश से आंतकवाद खत्म होगा। हिंसा, विद्वेष की भावना खत्म होगी। लेकिन अब तो माहौल ही बदल गया है। किसी को नेता कह दो गाली लगती है। जबकि नेता का मतलब नेतृत्व करने वाला होता है।

जैन मुनि ने कहा कि आज के इस युग में महात्मा कोई नहीं बनना चाहता। बच्चे तो साधु की भिखारी समझते हैं। बच्चे क्या बडे़ भी परंपरा को भूल गए है। साधु, संतों का कैसे अभिवादन करना है, उनके साथ कैसा व्यवहार करना है, उन्हें नहीं आता। साधु-संत तो अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सभी को प्रेम, सद्भावना की प्रेरणा दे रहे हैं।

28 साल पहले दो अक्टूबर को ही मानव मिलन संगठन की स्थापना की गई थी। जैन मुनि ने कहा कि यह संगठन भारत ही नहीं कई देशों में सक्रिय है। इसके लिए सभी सदस्यों और पदाधिकारियों को बधाई है।रविवार को 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में 39 वीं एवम 40 वीं गाथा का जाप आगरा बर्तन भंडार परिवार, संतोष हीरालाल लोहरे, रुचि, रोहित,इंदिरा, नगीन सकलेचा परिवार ने लिया। नवकार मंत्र जाप की आराधना मंजू, सुमित्रा, पद्मा सुराना एवम संतोष हीरालाल लोहरे परिवार ने की।

गांधी जयंती पर मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि, बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट द्वारा समाज के वयोवृद्ध श्रावकों/श्राविकाओं को समाज गौरव से सम्मानित किया गया।इसके साथ ही

तपस्वियों एवं मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजेश सकलेचा एवम हिमांशु मनानिया ने किया।

कार्यक्रम में निहाल सिंह जैन सीए, नेमीचंद जैन वास्तुविद, नरेंद्र सिंह गादिया, विवेक कुमार जैन, वैभव जैन आदि उपस्थित थे।

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