ये जुलूस ऐसे वक़्त निकाला गया जब गज़ा पट्टी में संघर्ष विराम को एक सप्ताह से ज्यादा नहीं हुआ है. इस साल जनवरी में भी इसराइली मंत्री ने यरुशलम का दौरा किया था.
मंत्री ने अल अक्सा मस्ज़िद का दौरा करने के बाद टेलीग्राम पर तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ”यरुशलम हमारी आत्मा है. हमास की धमकी हमें रोक नहीं पाएगी. मैं आज टेंपल माउंट तक चला आया.” हमास ने गवीर के इस दौरे का विरोध किया है.
इसके जवाब में हमास ने लिखा, ”इसराइल अपने मंत्री और यहां जबरदस्ती बसे झुंडों की इस बर्बर घुसपैठ का ज़िम्मेदार होगा.”
सऊदी अरब और जॉर्डन का विरोध
सऊदी अरब और जॉर्डन ने इसराइली मंत्री के इस क़दम का विरोध किया है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, ”इसराइल का ये क़दम अंतर्राष्ट्रीय नियम-कानूनों को तोड़ने वाला है”.
सऊदी अरब को कहना है कि ये दुनिया भर के मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काने वाला कदम है. उसने यरुशलम में लगातार हिंसा के लिए इसराइल को दोषी ठहराया है.
जॉर्डन ने भी इसे भड़काने वाला कदम बताया है. उसने कहा है कि इसराइल के ये कदम खतरनाक है. इसे किसी भी हालत मंजूर नहीं किया जा सकता.
क्या है विवाद?
अल-अक्सा मस्जिद इस्लामी दुनिया की तीसरी सबसे पवित्र जगह है. इसका प्रशासन जॉर्डन के हाथ में हैं. गैर मुस्लिमों को यहां प्रवेश की इजाजत है लेकिन वे यहां प्रार्थना नहीं कर सकते.
यह परिसर यहूदियों के लिए भी सबसे पवित्र जगह है. वो पश्चिमी दीवार के नीचे प्रार्थना करते हैं. ये विवाद 100 साल पुराना है.
यहूदियों के लिए ‘टेंपल माउंट’ और मुसलमानों के लिए ‘अल-हराम अल शरीफ़’ के नाम से मशहूर पावन स्थल में ‘अल-अक़्सा मस्जिद’ और ‘डोम ऑफ़ द रॉक’ शामिल है.
‘डोम ऑफ़ द रॉक’ को यहूदी धर्म में सबसे पवित्र स्थल का दर्जा दिया गया है. पैग़ंबर मोहम्मद से जुड़े होने के कारण ‘डोम ऑफ़ द रॉक’ को मुसलमान भी पावन स्थल मानते हैं.
इस धार्मिक स्थल पर ग़ैर-मुसलमानों की प्रार्थना पर पाबंदी लगी हुई है. इस परिसर का प्रबंधन जॉर्डन के वक्फ़ द्वारा किया गया जाता है, जबकि सुरक्षा इंतज़ामों पर इसराइल का नियंत्रण है.
Compiled: up18 News
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