सारा जीवनचक्र ही क्या अपने ऊपर निवेश नहीं है क्या?

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बात बिलकुल सच है, किंतु आज का मध्यम वर्ग काफ़ी बड़ा और सक्षम है। उसके लिए ये बहुत बड़ी चुनौतियां नहीं हैं कि इनमें ही जीवन खप जाए। इसलिए अब हमें अपने ऊपर निवेश के विषय में भी सोचना चाहिए। अब आप यह कह सकते हैं कि हां, हम अपनी ग्रूमिंग में भी निवेश करते हैं। मगर बात उसकी भी नहीं है। बात यह है कि इन सब मदों में किए गए ख़र्च तो वैसे ही हैं जैसे जीने के लिए सांस लेना। आइए, देखते हैं कि स्वयं में निवेश के क्या मायने हैं।

आपकी योग्यता बढ़ रही है?

न जाने क्यों ये मान लिया जाता है कि एक बार जो व्यावसायिक अथवा सामान्य कॉलेज से निकले तो शिक्षा ग्रहण करने का कार्य भी ख़त्म हो गया। शिक्षा केवल एक माध्यम बन जाती है पहली नौकरी पाने का। मगर उसके बाद की सोच यानी पदोन्नति या फिर विश्व में बढ़ते हुए ज्ञान के भंडार से सामंजस्य बिठाने में न जाने क्यों चूक जाते हैं।

आजकल अपनी कार्यक्षमताओं को बढ़ाने के लिए इतने शॉर्ट कोर्सेज उपलब्ध हैं कि कई बार बड़ा दुखद और हास्यास्पद लगता है जब लोग इस बात पर अपने कार्यालय, अपने बॉस या सारी दुनिया को कोसते नज़र आते हैं और अपने गिरेबान में झांकेकर यह नहीं देखते कि उन्होंने अपने को अपग्रेड करने में कोई निवेश किया ही नहीं है। जबकि आज की दुनिया में ये निवेश बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। और अब तो इंटरनेट तथा ऑनलाइन माध्यम से कम ख़र्चे में बहुत कुछ सीखा जा सकता है, सिर्फ़ समय का ही तो निवेश करना है। समय तो प्रकृति ने सभी को एक जैसा दिया है अर्थात प्रत्येक दिन के चौबीस घंटे। यह तो उपयोग करने वाले पर निर्भर है कि वह उसका प्रबंधन कैसे करता है।

सबकुछ आपके सिर पर है?

जब बात समय प्रबंधन की आती है तो बहुत से लोगों को कहते सुना जाता है कि भाई क्या बताएं घर-गृहस्थी, नौकरी वगै़रह के बीच ऐसा फंसे हैं कि न तो शरीर में ताक़त बचती है और न ही मन में हिम्मत कि कुछ नया सीखने की सोचें। बात कुछ के लिए सही हो सकती है किंतु अधिकतर व्यक्ति- ख़ासकर महिलाएं- अच्छे सहायकों, सहायिकाओं में निवेश नहीं करते। अच्छे सहायक का तात्पर्य आपके बच्चों की देखभाल करने वाले या आपका भोजन पकाने वाले या फिर इसी प्रकार के कर्मियों से है जिनके रहने से आपको कुछ अतिरिक्त समय मिल जाता है और आपकी ऊर्जा की बचत होती है। जब हमें ऑफ़िस में फाइल को इधर से उधर ले जाने के लिए सहायक रखना नैसर्गिक लगता है तो घर में क्यों आपत्ति होती है।

याद रखें, दफ़्तर हो या घर, हमेशा अच्छे कर्मी के लिए ख़र्च करना पड़ता है और उस थोड़े-से ख़र्च को बचाने के चक्कर में हम अपने ऊपर इतने काम लाद लेते हैं कि अपनी क्षमताओं को कुंद कर लेते हैं। इसलिए जब घरेलू सहायक को रखने की ज़रूरत महसूस हो तो उसे इस नज़रिए से देखकर रखें कि आप ख़ुद में ही निवेश कर रहे हैं।

ज़रा नज़रिया बदलें

अर्थशास्त्र की परिभाषा अनुसार, निवेश वह महत्वपूर्ण कारक है जो मांग को संचालित करता है, क्षमता का निर्माण करता है, श्रम उत्पादकता में वृद्धि करता है, नई प्रौद्योगिकी का आगमन सुगम बनाता है और नौकरियां सृजित करता है। आप ही बताएं कि स्वयं में निवेश भी क्या ये सब परिणाम नहीं देता।

– एजेंसी