तेल की तस्करी रोकने के लिए ईरानी सुरक्षा बलों ने मार डाले सैकड़ों गधे

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बताया गया है कि इन गधों को सीस्तान और बलूचिस्तान के सीमाई क्षेत्र कालीगान में मारा गया है..शनिवार को एक वीडियो क्लिप सामने आई जिसमें एक कच्ची सड़क और उसके आसपास सैकड़ों गधों की लाशें दिखाई दे रही हैं.

तेल की तस्करी

बताया जा रहा है कि ईरानी सुरक्षा बल के अधिकारियों ने इन जानवरों को कालीगान इलाक़े में तेल की तस्करी रोकने के लिए मारा है.

सोशल मीडिया पर इस घटना का एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह घटना 14 फ़रवरी की है जिसकी वीडियो क्लिप अब सामने आई है.

कालीगान का सीमाई पहाड़ी क्षेत्र सीस्तान और बलूचिस्तान राज्य के सरावान क्षेत्र के ज़िलों में से एक है.
इससे पहले भी ईंधन की तस्करी रोकने या उसे कम करने के लिए कुछ सीमा बलों ने युद्ध में इस्तेमाल होने वाले तीरों से इन जानवरों को मारा था.

सीस्तान और बलूचिस्तान की पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ 1100 किलोमीटर की लंबी थल सीमा है. और बेरोज़गारी की वजह से ये इलाका तेल की तस्करी का केंद्र बन गया है.

सूत्रों के अनुसार सैकड़ों गधों और ख़च्चरों की लाशें कालीगान के इलाक़े में पड़ी हैं. ईंधन को सीमा के दूसरी तरफ़ पहुंचाने के बाद वो इस इलाके में घूमते हैं.

बहुत से मामलों में सीमा बल जानवरों को उस समय गोली मार देते हैं जब उनका ईंधन ले जाने वाले गिरोह से सामना होता है या सिर्फ़ गधों और ख़च्चरों के रेवड़ को देखते हैं, जो उस इलाक़े में सिर्फ़ ईंधन लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल होते हैं.

मरे हुए सैकड़ों गधों का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों में ईरान का एक मानवाधिकार संगठन भी शामिल है.

यह जानवर आम तौर पर देश के दूसरे हिस्सों से इस स्थान पर स्मगल किए जाते हैं. स्थानीय व्यापारियों के पास आमतौर पर 10 से 20 गधे या खच्चर होते हैं और कई बार यही उनकी अकेली पूंजी होती है.

आर्थिक रूप से ज़्यादा मज़बूत लोगों के पास ईंधन ले जाने के लिए ज़्यादा जानवर होते हैं जो वो स्थानीय लोगों को किराए पर देते हैं. ईरान में इन जानवरों को मारने का एक इतिहास है.

ईरान के फ़ौजी दस्तों ने सीस्तान व बलूचिस्तान और कुर्दिस्तान में कई बार जानवरों को मारा है. अभी तक किसी संस्था ने इन जानवरों को मारने की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.

कार्रवाई का विरोध

लंदन स्थित पशु सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ईरान उन देशों में से एक है जहां जानवरों की सुरक्षा के लिए बुनियादी क़ानूनी ढांचा अस्तित्व में नहीं आया है.

यह संस्था जानवरों के कल्याण और उनके ख़िलाफ़ अत्याचार को ख़त्म करने के लिए काम करती है.

सन 2015 में इस्लामी काउंसिल के कुछ सदस्यों ने ईरान और इराक़ के सीमाई क्षेत्रों में जानवरों को मारने की घटनाओं को रोकने की मांग की थी.

उस समय पार्लियामेंट के सोशल कमीशन के सदस्य शकूरपुर हुसैन शक्लान ने पुलिस फ़ोर्स के बर्ताव को ग़ैरक़ानूनी बताया था.

उन्होंने कहा था कि अफ़सरों को इन जानवरों को नहीं मारना चाहिए बल्कि उनके मालिकों को क़ानून के मुताबिक़ गिरफ़्तार करना चाहिए.

लेकिन एक मामले में कुर्दिस्तान राज्य के सीमा बल के कमांडर ने ऐसी मांगों को मानने से इंकार कर दिया.

Compiled: up18 News