भारत स्थापित कर रहा है अपनी तरह का पहला स्टैंडअलोन अक्षय बैटरी पावर बैंक

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आपने बहुत बार खबरों में पढ़ा होगा कि देश में सिर्फ इतने दिन का कोयला बचा है..खड़ा हो जाएगा बड़ा बिजली संकट..आदि-आदि। ऐसी ही समस्याओं के समाधान के लिए भारत अपनी तरह का पहला स्टैंडअलोन अक्षय बैटरी पावर बैंक (Renewable Battery Power Bank) स्थापित कर रहा है। इससे अधिकतम मांग आ जाने पर डिस्कॉम और ग्रिड ऑपरेटर्स को हरित ऊर्जा उपलब्ध करायी जा सकेगी।

इस पावर बैंक के लिए 2,000 करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना की गई है। हालांकि, बैटरी निर्माण के लिए जरूरी लिथियम की कीमतों में बढ़ोतरी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला में बाधा इसमें कुछ व्यवधान डाल सकती हैं।

भारत की सौर और पवन ऊर्जा योजनाओं को लागू करने वाली सरकारी संस्था सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) द्वारा जारी निविदा के अनुसार, परियोजना में दो घंटे के लिए 500MW या 1000MWh (मेगा वाट घंटा) की आपूर्ति करने की भंडारण क्षमता होगी। अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में यह जानकारी दी।

भंडारण क्षमता को किराए पर ले सकती है डिस्कॉम

डिस्कॉम्स इस भंडारण क्षमता को किराए पर ले सकती हैं, जिसे अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके चार्ज किया जाएगा। इस भंडारण क्षमता का उपयोग अत्यधिक मांग के समय बिजली प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। यह परियोजना राजस्थान में अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली के फतेहगढ़-III सबस्टेशन के आसपास स्थित होनी है।

परियोजना को बिल्ड-ऑन-ऑपरेट के आधार पर स्थापित किया जाएगा, जिसमें डेवलपर कनेक्टिविटी और आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होगा। सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी द्वारा उपयोग के अधिकार के आधार पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

डेवलपर को प्रतिदिन दो परिचालन चक्रों के लिए या एक दिन में दो पूर्ण चार्ज-डिस्चार्ज चक्रों के लिए भंडारण क्षमता उपलब्ध करानी होती है। SECI थर्ड-पार्टी लीजिंग के लिए 60% क्षमता रखेगा। जबकि 30 फीसद उत्तरी और राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटरों द्वारा उनकी सहायक सेवाओं के लिए निर्धारित की जाएगी।

ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एक बाजार विकसित करना है उद्देश्य

मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि परियोजना का उद्देश्य ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एक बाजार विकसित करने के लिए सहायता प्रदान करना है। वर्तमान में, वैश्विक बैटरी निर्माताओं द्वारा भारत को कम प्राथमिकता वाला बाजार माना जाता है, जो अमेरिका और यूरोप पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ये भंडारण-आधारित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर केंद्रित हैं।

हालांकि, उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि पूर्वी यूरोप में अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति के कारण यह समय आदर्श नहीं हो सकता है। युद्ध से वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है और कमोडिटी की कीमतों में तेजी आई है।

यह है लक्ष्य

सरकार ने राष्ट्रीय ग्रिड में अक्षय ऊर्जा की पैठ बढ़ाने की योजना के तहत 4,000MWh बैटरी भंडारण क्षमता का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट में 2029-30 तक 27,000MW, या 108,000MWh- अनिवार्य रूप से चार घंटे के भंडारण की बैटरी भंडारण क्षमता की परिकल्पना की गई है। हालांकि, लिथियम की कीमतों में 500% की वृद्धि ने बैटरी को महंगा बना दिया है और इस परियोजना में भी यह एक बड़ा खर्च होगा।

-एजेंसियां