1960 के सिंधु जल समझौते में संशोधन के लिए भारत ने पाकिस्‍तान को दिया नोटिस

Exclusive

सूत्रों ने आगे बताया कि पाकिस्तान की ओर से जो कार्रवाई की गई, उसके चलते IWT के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। पड़ोसी मुल्क ने समझौते का उल्लंघन किया है। इसके चलते हमें मजबूरन यह नोटिस जारी करना पड़ा है।

भारत ने क्यों की कार्रवाई

सूत्रों ने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते के आर्टिकल IX का उल्लंघन किया है। इस कारण भारत ने इस मामले को एक विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए अलग से अनुरोध किया है।

सूत्रों ने बताया कि भारत ने इस मसले पर बार-बार मध्यस्थता का रास्ता खोजा लेकिन पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इन्कार कर दिया। पाकिस्तान ने 2017 से लेकर 2022 के बीच स्थाई सिंधु आयोग की 5 बैठकों में हिस्सा लिया लेकिन इस मामले पर बात नहीं की। इस वजह से मजबूर होकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस थमाया है।

यहां से शुरू हुआ विवाद

असल में सिंधु जल समझौते को लेकर असली विवाद साल 2015 में शुरू हुआ। पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनों पर अपनी आपत्ति जताई थी। इसके लिए उसने एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था। इसके बाद अचानक 2016 में पाकिस्तान ने अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थ्ता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। पाकिस्तान की यह कार्रवाई सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद का उल्लंघन है।

पाकिस्तान को दिया था सुधरने का मौका

भारत ने पाकिस्तान को सुधरने का मौका दिया था। इस उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है। भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने का भी अनुरोध किया था।

क्या है सिंधु जल समझौता

भारत और पाकिस्तान ने साल 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के अनुसार सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत के हिस्से में आता है और वहीं सिंधु, झेलम, चेनाब का पानी पाकिस्तान के हिस्से में आता है। इस संधि में विश्व बैंक भी एक सिग्नेटरी के रूप में है। इस संधि के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मिलना होता है।

Compiled: up18 News