श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू को दिए इंटरव्यू में भारत को लेकर कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की है.
विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत ने श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में ‘वास्तव में मदद’ दी है. विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री बनने के एक महीने बाद द हिंदू से कोलंबो में विस्तार से बातचीत की.
विदेशी निवेश पर टिप्पणी करते हुए रानिल विक्रमसिंघे ने अडानी ग्रुप की देश में एंट्री का ज़ोरदार स्वागत किया. अडानी समूह को लेकर श्रीलंकाई शीर्ष अधिकारी के एक बयान पर बीते दिनों ख़ूब विवाद छिड़ा था.
श्रीलंका के शीर्ष अधिकारी ने संसदीय समिति के सामने ये कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका सरकार पर दबाव बनाया था कि वो अडानी समूह को उत्तरी श्रीलंका की बड़ी बिजली परियोजना सौंपे. हालाँकि, विवाद के बाद अधिकारी ने अपना बयान वापस ले लिया था.
इस विवाद पर विक्रमसिंघे ने कहा, “अगर भारत सरकार वास्तव में दिलचस्पी लेती तो मुझे इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी या उनके कार्यालय की ओर से बताया जाता. मुझसे इस परियोजना को जल्द से जल्द सौंपने के लिए कोई अनुरोध नहीं किया गया है.”
गंभीर संकट के बीच पीएम पद संभालने की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि अब उनका देश ईंधन की कमी को कम करने की कोशिश कर रहा है. पहले सब कुछ बिखरा था लेकिन अब हम भारत की ओर से मिली क्रेडिट लाइन का इस्तेमाल कर पा रहे हैं.
भारत से मदद मिलने के बाद श्रीलंका को उम्मीद है कि उसे आईएमएफ़ की ओर से पैकेज मिल जाएगा. इसके अतिरिक्त श्रीलंका ने चीन और जापान से भी मदद मांगी है और ख़ासतौर पर क्वॉड देशों से आग्रह किया है कि वे श्रीलंका की मदद के लिए एक कंज़ोरटियम बनाए.
इस आग्रह पर अब तक कैसी प्रतिक्रिया मिली है, इसके जवाब में श्रीलंका के पीएम ने कहा, “क्वॉड के दो सदस्य श्रीलंका की मदद करने में शामिल हैं और वो हैं भारत-जापान. मदद देने में अब तक भारत आगे रहा है. हमने अब जापान से भी बातचीत शुरू की है. चीन भी जल्द मदद भेजेगा.”
“अब हमारे पास दो क्वॉड सदस्य और एक बेल्ट एंड रोड (इनिशिएटिव) का सदस्य है. इसके अलावा हमारे पर पेरिस क्लब का भी एक सदस्य देश ‘जापान’ है. हम अब ‘भू-राजनीति’ के मध्य में हैं.”
विक्रमसिंघे ने कहा कि इस मुश्किल घड़ी से निपटने के लिए भारत ने वास्तव में बहुत मदद की है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका की संसदीय समिति से मुलाक़ात की और कहा कि भारत उनके साथ खड़ा है.
पीएम विक्रमसिंघे ने कहा, “यहां तक कि जब मैं जयशंकर से इंडियन ओशियन कॉन्फ्रेंस के लिए अबु धाबी में मिला था, हमने इस मसले पर चर्चा की थी और उस समय जयशंकर हमारी स्थिति को लेकर चिंतित थे. वो श्रीलंका में कोई उथल-पुथल नहीं चाहते थे, और फिर जब वो यहाँ आए तो कहा कि हम श्रीलंका की मदद करने जा रहे हैं.”
विक्रमसिंघे ने बताया कि भारत के वित्त मंत्री, विदेश मंत्री के साथ ही ख़ुद प्रधानमंत्री ने भी श्रीलंका को इस मुसीबत की घड़ी में बहुत मदद दी है.
भारत ने श्रीलंका को अब तक 3.5 अरब डॉलर की मदद का वादा किया है. इसके अतिरिक्त श्रीलंका को उम्मीद है कि अब भी भारत से ईंधन के लिए उसे 50 करोड़ डॉलर की और सहायता मिलेगी.
ख़ास बात ये है कि चीन ने भारत की ओर से श्रीलंका को दी जा रही मदद की तारीफ़ की है. चीन ने श्रीलंका को सहायता देने के लिए भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी जताई है. ऐसे में कर्ज़ में डूबे श्रीलंका की मदद के लिए क्या चीन आगे आएगा, इस पर विक्रमसिंघे ने कहा, “मुझे लगता है, वो बिलकुल ऐसा करेंगे. हम उनसे बात करेंगे और मुझे उम्मीद है कि ऐसा मौक़ा आएगा जब जापान, चीन और भारत एक-दूसरे से बातचीत करेंगे. चीन ने भारत की सहायता को माना है. मुझे लगता है कि ये अच्छी शुरुआत है, लेकिन ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनपर बहस हो सकती है.”
अडानी समूह पर क्या बोले विक्रमसिंघे
विक्रमसिंघे ने इंटरव्यू में कहा कि अडानी समूह को श्रीलंका में पहली बार कोई प्रोजेक्ट नहीं मिला है. इस समूह की वजह से देश में 50 करोड़ डॉलर आए हैं, जिसकी हमें अभी जरूरत है.
उन्होंने पहले कोलंबो पोर्ट पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल बनाया जो और अब वे वेस्ट कंटेनर टर्मिनल बनाएंगे. इस खेल में उनके पास काफ़ी अनुभव है. श्रीलंका में दो परियोजनाओं को पूरा करने के बाद अडानी समूह ने मन्नार में बिजली प्रोजेक्ट के लिए आवेदन दिया था.
उन्होंने कहा, “मैंने कैबिनेट के पास आए दस्तावेज़ देखे हैं. हमारे पर एक कमिटी ऑफ़ सेक्रेटरीज़ हैं, जो सारे प्रस्तावों को देखती है और फ़ैसला लेती है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस परियोजना में कोई मसला है. अगर भारत सरकार वास्तव में दिलचस्पी लेती, तो मुझे इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी या उनके कार्यालय की ओर से बताया जाता. मुझसे इस परियोजना को जल्द से जल्द सौंपने के लिए कोई अनुरोध नहीं किया गया है.”
श्रीलंका के पीएम ने कहा कि अगर अडानी किसी और परियोजना में निवेश के लिए भी आएंगे तो वो उनका स्वागत करेंगे. उन्होंने बताया कि जब वो आख़िरी बार भारत आए थे तो उन्होंने रतन टाटा से बात की थी. इसके बाद उन्होंने इन्फ़ोसिस के नारायण मूर्ति से भी बात की. विक्रमसिंघे ने बताया कि वो समय-समय पर कई भारतीयों से बात करते रहते हैं.
-एजेंसियां