कोरोना काल के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा रहा है। इसके बारे में जानकारी देते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के उप प्रबंध निदेशक एंटोनेट सायह ने कहा कि महामारी से उबरने के बाद भारत आज विश्व अर्थव्यवस्था में एक ‘ब्राइट स्पॉट’ के रूप में उभर रहा है।
दक्षिण एशिया में होने वाले एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत को सेवा निर्यात में अपनी मौजूदा ताकत का लाभ उठाने की जरूरत है। सम्मेलन में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर काबू पाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। अगर मूल्य दबाव इसी तरह उच्च स्तर पर बना रहता है तो विकास और निवेश दोनों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में हुआ विकास
RBI के गवर्नर ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के नेतृत्व में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विकास हुआ है जिसने वैश्विक विकास में 15 प्रतिशत का योगदान दिया है। इसके अलावा उच्च उत्पादक क्षेत्रों, ऊर्जा सुरक्षा, हरित अर्थव्यवस्था पर सहयोग और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी काम किया गया है।
बता दें कि नवंबर में भारत की मुद्रास्फीति पिछले महीने के 6.77 प्रतिशत से घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति के स्तर को ठीक करने के लिए पिछले साल मई से रेपो दर में 225 अंकों की वृद्धि की है।
आईएमएफ के निदेशक ने दी सलाह
आईएमएफ के उप निदेशक सायह ने कहा कि भारत को सेवा निर्यात में अपनी मौजूदा ताकत का लाभ उठाने की जरूरत है। वैश्विक मूल्य शृंखला में भागीदारी और संरचनात्मक सुधार करके रोजगार और विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व अर्थव्यवस्था में ‘अच्छे स्थान’ पर है, जो अपने औसत से काफी ऊपर की दर से बढ़ रहा है।
Compiled: up18 News
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