यूक्रेन पर UN के विशेष सत्र में भारत बोला, संकट का समाधान डिप्लोमैटिक वार्ता से हो

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यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के विशेष सत्र में भारत ने कहा है कि इस संकट का समाधान डिप्लोमैटिक वार्ता में है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत यूक्रेन में ख़राब होती स्थिति से बहुत चिंतित है और हम तत्काल हिंसा रोकने के साथ शत्रुता समाप्त करने की अपील करते हैं.

तिरुमूर्ति ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद केवल ईमानदार, गंभीर और टिकाऊ वार्ता के ज़रिए ही ख़त्म किया जा सकता है.

तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन में फँसे भारतीय नागरिकों और छात्रों को निकालने के लिए जो कुछ भी भारत कर सकता है, कर रहा है.

उन्होंने कहा, ”भारत यूक्रेन में ख़राब होती स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है. हम इसी बात को दोहरा रहे हैं कि हिंसा तत्काल बंद हो और शत्रुता ख़त्म हो. मेरी सरकार स्पष्ट रूप से मानती है कि इसका समाधान कूटनीतिक संवाद के अलावा कुछ और नहीं है.”

हालांकि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की आलोचना वाले प्रस्ताव पर वोटिंग से बाहर रहा है. इसके अलावा सोमवार को भारत जिनेवा में यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र की एक और संस्था यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल (एनएचआरसी) में वोटिंग से बाहर रहा.

यहाँ भी यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर आपातकालीन चर्चा के लिए वोटिंग हुई थी. 29 देशों ने चर्चा के पक्ष में वोटिंग की, पाँच देशों ने ख़िलाफ़ में और 13 देश वोटिंग से बाहर रहे.

भारत के रुख़ को लेकर क्‍या बोला जर्मनी

यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत के रुख़ की चर्चा पश्चिम के देशों में ख़ूब हो रही है. अमेरिका और यूरोप के देश चाहते है कि यूक्रेन पर हमले के मामले में रूस को अलग-थलग करने में भारत में संयुक्त राष्ट्र में साथ दे लेकिन भारत अब तक किसी पक्ष को लेकर दूरी बनाकर रखी है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर दो बार वोटिंग हुई और दोनों पर भारत वोटिंग से बाहर रहा है. भारत अलावा चीन और यूएई भी वोटिंग से बाहर रहे.

रूस के वीटो करने के बाद यह प्रस्ताव अब संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में लाया गया है. यहाँ बहुमत से प्रस्ताव पास हो सकता है. भारत यहाँ क्या करेगा, इसकी चर्चा गर्म है.

-एजेंसियां