कभी हमें हिंदी के भाव व रसों को लेकर पढ़ाया गया था कि मन का वह भाव जो किसी नई, विलक्षण या असाधारण बात को देखने, सुनने या ध्यान में आने से उत्पन्न होता है आश्चर्य का भाव कहते हैं। रस के नौ स्थायी भावों में से एक:”आश्चर्य” अद्भुत रस का ही स्थायी भाव है।
इसी तरह जब कोई अच्छा गाना सुनते हैं तो आप खुद को आश्चर्य चकित होने से नहीं रोक पाते हैं। इसी तरह जब कोई खिलाड़ी मैच में अच्छा प्रदर्शन करता है तो आप उसकी तारीफ करते नहीं थकते। ठीक इसी तरह आश्चर्य वाली स्थिति आपको जीवन में ज्यादा खुशी देती है। इससे तनाव कम होता है और व्यक्ति अपने बारे में ज्यादा जान पाता है।
दरअसल, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (UCLA ) में ग्रेटर गुड साइंस सेंटर में हुए एक शोध में हाल ही में यह बात सामने आई है। इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता डैकर केल्टनर (Dacker Keltner) ने 26 देशों के 3 लाख लोगों का एक सर्वे किया। इसमें उन्होंने पाया कि लगातार आश्चर्य चकित रहने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। करुणा और उदारता बढ़ती है और दिमाग तेज होता है।
आश्चर्य का अनुभव कैंसर के लक्षण धीमा करता है
2018 में जॉन टेम्पलटन फाउंडेशन की रिसर्च में सामने आया था कि आश्चर्य का अनुभव कैंसर, हार्ट की बीमारियां और डायबिटीज के लक्षणों को धीमा करता है। वहीं, तनाव और चिंता को भी घटाता है। 2021 के एक शोध में पाया गया कि आश्चर्य का अनुभव करना लोगों को अपने बारे में ज्यादा जानने में मदद करता है। इससे ज्यादा धैर्य भी विकसित होता है।
शोध के अनुसार, एक आम व्यक्ति सप्ताह में दो बार आश्चर्य को महसूस करता है। लोग अपनी तुलना में दूसरों की कामयाबी से चकित होते हैं। 2018 के एक सर्वे में पाया गया कि जीवन में ज्यादा आश्चर्य अनुभव करने वाले लोग ज्यादा विनम्र होते हैं।
लोगों ने अकेले घूमने में भी आश्चर्य ढूंढा
केल्टनर कहते हैं कि लोग महामारी के दौरान अकेले थे और उदास गाने ज्यादा सुनना चाहते थे। अकेले घूमना और गाने सुनने से भी लोगों में आश्चर्य पैदा होता है। लोगों ने कोरोना के दौरान आश्चर्य बनाए रखने के लिए पौधों का ख्याल रखना शुरू किया।
-एजेंसी