पाकिस्तान में इमरान ख़ान को गिरफ़्तार किए जाने की अटकलों के बीच भारी तनाव

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आतंकवाद निरोधी एक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में “शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया” और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पाटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.

कितने प्रभावशाली इमरान?

सत्ता से बाहर होने के बावजूद पाकिस्तान में इमरान ख़ान के पास लोगों का अच्छा-ख़ासा समर्थन है.
पिछले महीने उनकी पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में सत्ताधारी दल को उपचुनावों में मात देकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था.

पंजाब के उपचुनाव में पाकिस्तान में सत्ताधारी दल पीएमएल(एन) को उम्मीद थी कि वो आसानी से जीत जाएगी. मगर इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटें जीतकर प्रांतीय असेंबली पर कब्ज़ा कर लिया.

इस उपचुनाव के नतीजे को कई लोगों ने चुनावी लड़ाई में इमरान ख़ान की लोकप्रियता का एक संकेत बताया और ऐसा कहा जाने लगा कि यदि समय से पहले चुनाव कराए जाते हैं तो उनका पलड़ा भारी रह सकता है.

इमरान ख़ान 2018 के चुनाव में जीत कर प्रधानमंत्री बने थे. मगर अपने कार्यकाल के आख़िरी वर्षों में पाकिस्तान की ताक़तवर सेना के साथ उनका मतभेद हुआ.

इसके बाद उनकी पार्टी से एक-के-बाद-एक कई नेता अलग होते चले गए, और आख़िरकार इस वर्ष अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव में उनका बहुमत जाता रहा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.

-एजेंसी