पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को गिरफ़्तार किए जाने की अटकलों के बीच भारी तनाव की स्थिति बन गई है और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने इमरान ख़ान के घर के बाहर डेरा डाल दिया है.
इमरान ख़ान के घर के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात हैं, हालाँकि उनका कहना है कि वो उन्हें गिरफ़्तार करने नहीं, बल्कि क़ानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं.
दरअसल, पाकिस्तान में पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है.
इमरान ख़ान पर शनिवार को एक रैली के दौरान पुलिस और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया गया है.
पाकिस्तान में इस घटना को लेकर रविवार को सोशल ट्विटर पर “इमरान ख़ान हमारी रेड लाइन” ट्रेंड करने लगा.
इस्लामाबाद में बनी गला में उनके घर के बाहर जुटे समर्थकों ने चेतावनी दी है कि उनके नेता की गिरफ़्तारी “घर की दहलीज़” यानी लक्ष्मण रेखा को लाँघने के जैसा होगा.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनके नेता को गिरफ़्तार किया गया तो वो इस्लामाबाद को अपने क़ब्ज़े में ले लेंगे.
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई के वरिष्ठ नेता शाह महमूद क़ुरैशी ने रविवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, “हम अमनपसंद लोग हैं, लोकतांत्रिक लोग हैं, हम क़ानून के भीतर रहकर सियासी जद्दोज़हद जारी रखेंगे, लेकिन अगर आपने हमारे घर की दहलीज़ को फ़लाँगा कि उसके नतीजे के ज़िम्मेदार वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे, और जो नुक़सान पहुँचेगा उसके ज़िम्मेदार आसिफ़ अली ज़रदारी साहब और शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे.”
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच का ये मामला ऐसे समय आया है जब उनके और पाकिस्तान सरकार के बीच तनाव चरम सीमा पर है.
इस वर्ष अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान ख़ान लगातार सरकार और सेना की आलोचना करते रहे हैं.
वो इसके बाद से ही आक्राम रुख़ अख़्तियार कर पूरे देश में दौरा कर रैलियों में सरकार और सेना पर हमले करते हुए फिर से चुनाव करवाने की माँग कर रहे हैं.
भाषण और एफ़आईआर
पाकिस्तान पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच तब शुरू की जब उन्होंने अधिकारियों पर अपने एक क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया जिन्हें पिछले हफ़्ते देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था
इमरान ख़ान ने शनिवार को रैली में अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे.
इमरान ख़ान ने ख़ास तौर पर अतिरिक्त जिला और सत्र जज ज़ेबा चौधरी को निशाना बनाया जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के आग्रह पर शहबाज़ गिल की दो दिन की पुलिस रिमांड को मंज़ूरी दी थी.
इमरान ख़ान ने रैली में पुलिस प्रमुख और जज को निशाना बनाते हुए कहा, “शर्म करो, इस्लामाबाद आईजी, तुम्हें तो नहीं छोड़ना है, तुम्हारे ऊपर केस करना है हमने, और मजिस्ट्रेट साहिबा ज़ेबा, आप भी तैयार हो जाएँ, आपके ऊपर भी हम ऐक्शन लेंगे.”
रविवार को इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ होने से पहले पाकिस्तान के गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि सरकार इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने से पहले क़ानूनी परामर्शन ले रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान ख़ान ने भाषण में जो कहा वो उनके पिछले भाषणों की कड़ी है जिसमें वो सेना और अन्य संस्थानों को निशाना बनाते रहे हैं.
जाँचकर्ताओं का कहना है कि इमरान ख़ान ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने से उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद-विरोधी क़ानून तोड़ा है.
पाकिस्तान के मीडिया नियामक ने शनिवार को कहा था कि इमरान ख़ान की रैलियों के टीवी पर सीधे प्रसारण पर भी रोक लगा दी गई है क्योंकि वो सरकारी संस्थानों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दे रहे हैं.
इमरान ख़ान ने इसके बाद दावा किया कि सरकार उन्हें सेंसर करने की कोशिश कर रही है.
रविवार को रावलपिंडी में एक दूसरी रैली में उन्होंने कहा, “इमरान ख़ान ने क्या जुर्म किया है? मैं इन चोरों के गिरोह को मंज़ूर नहीं करूँगा.”
इमरान ख़ान ने बाद में सरकार पर आरोप लगाया कि उनसे लोगों को उनका भाषण लाइव सुनने से रोकने के लिए यूट्यूब को भी ब्लॉक किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ शनिवार रात 10 बजे इस्लामाबाद के मरगल्ला पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज करवाई गई.
आतंकवाद निरोधी एक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में “शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया” और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पाटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.
कितने प्रभावशाली इमरान?
सत्ता से बाहर होने के बावजूद पाकिस्तान में इमरान ख़ान के पास लोगों का अच्छा-ख़ासा समर्थन है.
पिछले महीने उनकी पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में सत्ताधारी दल को उपचुनावों में मात देकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था.
पंजाब के उपचुनाव में पाकिस्तान में सत्ताधारी दल पीएमएल(एन) को उम्मीद थी कि वो आसानी से जीत जाएगी. मगर इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटें जीतकर प्रांतीय असेंबली पर कब्ज़ा कर लिया.
इस उपचुनाव के नतीजे को कई लोगों ने चुनावी लड़ाई में इमरान ख़ान की लोकप्रियता का एक संकेत बताया और ऐसा कहा जाने लगा कि यदि समय से पहले चुनाव कराए जाते हैं तो उनका पलड़ा भारी रह सकता है.
इमरान ख़ान 2018 के चुनाव में जीत कर प्रधानमंत्री बने थे. मगर अपने कार्यकाल के आख़िरी वर्षों में पाकिस्तान की ताक़तवर सेना के साथ उनका मतभेद हुआ.
इसके बाद उनकी पार्टी से एक-के-बाद-एक कई नेता अलग होते चले गए, और आख़िरकार इस वर्ष अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव में उनका बहुमत जाता रहा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.
-एजेंसी
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