उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह छह दिसंबर को इस पर गौर करेगा कि चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को चंदा मिलने के प्रावधान वाले कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए वृहद पीठ को भेजा जाए या नहीं।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने यह भी कहा कि यह महत्वपूर्ण मामला है और उसने इस पर अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहयोग मांगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा हासिल करने का तौर-तरीका बहुत पारदर्शी है।
चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत नकदी चंदे के विकल्प के तौर पर लाया गया है।
देश की शीर्ष अदालत ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
एडीआर की ओर से पैरवी कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने गत पांच अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के समक्ष इस मामले को रखा था और कहा था कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है तथा इस पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी, हालांकि यह मामला किसी अदालत के समक्ष नहीं आया।
भूषण ने गत चार अक्टूबर को न्यायालय से आग्रह किया था कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए और केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि मामले के लंबित रहने के दौरान चुनावी बॉन्ड की बिक्री न की जाए।
-एजेंसी