सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 12 अक्टूबर को

National

आठ नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने नोटबंदी के फ़ैसले की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो परीक्षण करेगा कि ये मुद्दा अकादमिक है या नहीं और इस पर विचार करने की ज़रूरत है या नहीं. न्यायाधीश अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली बेंच ये जानने की कोशिश करेगी क्या इस स्तर पर ये विषय अब भी जीवित है या नहीं.

न्यायाधीश बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नाागरत्ना भी इस बेंच का हिस्सा हैं.

याचिका दायर करने वाले एक वकील ने कहा कि इस मसले की वैधता से जुड़ा एक मुद्दा ये है कि आरबीआई और प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि जो लोग 31 दिसंबर 2016 तक पैसे जमा ना कर पाएं हों को उन्हें मार्च, 2017 तक का समय दिया जाएगा लेकिन आख़िरी समय में इसे मंज़ूरी नहीं दी गई.

सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट इसे अकादमिक तरीक़े से जांचना चाहे तो कर सकती है वरना ये नहीं टिक पाएगा.

-एजेंसी