उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा इस समय काफी गरमाया हुआ है। ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद आज इस मामले की वाराणसी की जिला जज की अदालत में सुनवाई पूरी हो गई है। मंगलवार को फैसला आएगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई जिला जज को सौंपी थी। इस आदेश की कॉपी शनिवार को जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जिला जज को 8 सप्ताह में पूरा करने को कहा है।
– कोड ऑफ सिविल प्रॉसिजर 7.11 यानी कि ऑर्डर 7 के रूल 11 पर बात हुई। वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हिंदू पक्ष का दावा मजबूत है। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाकी सबूतों का अध्ययन करने के बाद कोर्ट कोई फैसला देगा। कल न्यायालय की तरफ से बताया जाएगा कि यह मामला मेन्टेनेबल है या नहीं।
– जिला अदालत में मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। मामले पर कल फैसला आएगा। संभावना है कि दोपहर 2 बजे के करीब सुनवाई होगी और फिर लंच के बाद फैसला आएगा। इस मामले को प्राथमिकता पर रखा जाएगा।
– ज्ञानवापी मामले की याचिकाकर्ता महिलाएं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक भी कोर्ट रूम में अंदर मौजूद रहीं। कोर्ट में पूरा मामला नए सिरे से सुना जा रहा है। वकीलों के सहयोगियों को कोर्ट रूम से बाहर ही रोक दिया गया। बाहरी लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई।
– ज्ञानवापी मामले के पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा को भी कोर्ट रूम में अंदर नहीं जाने दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े लोग ही अदालत में प्रवेश कर पाएंगे। कोर्ट रूम में सहायक कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह समेत 23 लोग ही मौजूद रहे। इसमें दोनों दोनों पक्षों के लोग शामिल थे।
– सुनवाई शुरू होते ही वाराणसी कोर्ट परिसर के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। हर तरफ पुलिसबल तैनात था।
– सहायक कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह का कहना है कि अदालत का जो आदेश होगा, हमें मंजूर होगा।
– सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मुकद्दमे से संबंधित सभी फाइलें शनिवार को वाराणसी जिला अदालत में स्थानांतरित कर दी गईं थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) से जिला जज के कोर्ट में ट्रांसफर का आदेश दिया है।
जिला जज को देना है 8 सप्ताह में फैसला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जिला जज को आठ सप्ताह के अंदर ज्ञानवापी मस्जद विवाद की सुनवाई कर फैसला सुनाना है। इसके बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित रखा जाएगा। साथ ही मुस्लिमों के नमाज पढ़ने पर रोक नहीं रहेगी। बता दें कि सिविल जज के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे और विडियोग्राफी कराए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह मामले की सुनवाई सिविल अदालत के बजाय जिला अदालत को सौंपी है। सुप्रीम कोर्ट ने आठ हफ्ते में सुनवाई पूरी भी करने को कहा है, उससे लग रहा है कि वह इस मामले का जल्द निस्तारण चाहते हैं।
श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा का भी है मामला
पूरा विवाद श्रृंगार गौरी मंदिर में दैनिक पूजा का है। अप्रैल 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर कर काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर रखी गई श्रृंगार गौरी की मूर्ति की अप्रतिबंधित दैनिक पूजा की मांग की थी। इसके बाद तीन और केस दर्ज कराए गए। इसमें से एक केस मस्जिद की देखरेख करने वाले अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमिटी का है।
लोअर कोर्ट की ओर से मस्जिद परिसर के सर्वे के दौरान कथित तौर पर एक शिवलिंग पाए जाने के बाद मस्जिद के तालाब को सील करने के आदेश का विरोध भी किया गया है। मस्जिद कमेटी की याचिका को 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के यहां ट्रांसफर कर दिया है।
शिवलिंग की पूजा के लिए याचिका
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने शनिवार को ऐलान किया कि ज्ञानवापी में सर्वे में मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना के अधिकार को लेकर सोमवार को अदालत में याचिका दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि पीढ़ियों से उनके पूर्वजों को बाबा के पूजन-भोग का अधिकार प्राप्त है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग बिना अभिषेक और भोग के रखना उचित नहीं है। इन्हीं बातों को लेकर अदालत में याचिका दायर कर शिवलिंग के पूजन का अधिकार मांगा जाएगा।
दूसरी तरफ, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के सचिव और मुफ्ती ए बनारस अब्दुल बातिन नोमानी का कहना है कि ज्ञानवापी में सिर्फ और सिर्फ फव्वारा है। मैंने तो कोई शिवलिंग नहीं देखा। उत्तर प्रदेश की पुरानी शाही मस्जिदों में फव्वारा देखने को मिल जाएंगे। बनारस की ही कुल तीन शाही मस्जिदों में फव्वारा लगा हुआ है। हिंदू पक्ष की ओर से दायर मुकदमा उपासना स्थल अधिनियिम 1991 के खिलाफ है।
-एजेंसियां
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