गुजरात के बोटाद जिले में राज्य का सबसे बड़ा भोजनालय बनकर तैयार हो गया है। श्री कष्टभंजन देव मंदिर परिसर में बना यह भोजनालय कई मायनों में अनूठा है। सारंगपुर धाम में बनाए गए हाईटेक भोजनालय और किचन की अनूठी विशेषताओं को जानकर आप चौंक जायेंगे। दूर से दिखने में एक मंदिर की तरह नजर आने वाले इस भोजनालय का निर्माण 17 लाख ईटों से किया गया है। प्रत्येक ईंट पर ‘जय श्रीराम’ लिखा हुआ है।
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार इस भोजनालय में एक साथ बैठकर करीब 4 हजार से अधिक लोग खाना खा सकेंगे। 55 करोड़ रुपये की लागत से बने भोजनालय का नाम श्री कस्टभंजन देव नूतन भोजनालय रखा गया है। जो महावीर हनुमान को समर्पित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब इस भोजनालय का उद्घाटन किया तो वे भी खूबियों से चकित रहे गए।
20 महीने में बना भोजनालय
श्री कष्टभंजन देव मंदिर ट्रस्ट की तरफ इस विशाल भोजनालय का निर्माण अगस्त 2021 में शुरू किया गया था। 20 महीने की मशक्कत के बाद यह भोजनालय बनकर तैयार हुआ है। 7 बीघे में बने इस भोजनालय की बिल्डिंग को 255 स्तंभों पर खड़ा किया गया है। इन अनूठे भोजनालय की डिजाइन प्रकाशभाई गज्जर और राजेशभाई पटेल ने तैयार की है। भोजनालय का निर्माण एलिवेशन इंडियन- रोमन शैली में किया गया है। इस भोजनालय का निर्माण संत स्वामी हरिप्रकाश दास, कोठारी श्री विवेकसागरदासजी स्वामी गुरु पुराणी श्री विष्णुप्रकाशदासजी स्वामी (अठानावाला) की प्रेरणा से हुआ है।
कहीं नहीं है ऐसा किचन
मंदिर ट्रस्ट के वरिष्ठ संत स्वामी हरिप्रकाश दास के अनुसार ऐसा हाईटेक किचन पूरे भारत के किसी मंदिर में भी देखने को नहीं मिलेगा। 4550 स्क्वायर फीट की भोजनालय में बड़ा किचन बनाया गया है। जिसमे 1 घंटे में 20,000 हजार से ज्यादा लोगों के लिए खाना बन सकता है।
भोजनालय में बिना गैस-बिजली के खाना बनाया जाएगा। भोजनालय के रेस्टोरेंट में कुल 7 डाइनिंग हॉल बनाए गए हैं। एक साथ 4000 हजार से ज्यादा श्रद्धालु डाइनिंग टेबल पर बैठकर प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। इस भोजनालय में भोजनालय में कुल 79 कमरे बनाए गए हैं। भोजनालय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमे में एक खास कैविटी वॉल बनाई गई है जो रेस्टोरेंट के अंदर के तापमान को ठंडा रखेगी।
विशेष ईंटों से निर्माण
भोजनालय में कुल 17 लाख से ज्यादा श्रीराम लिखी हुई ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। इन ईंटों का गांधीनगर भट्ठी में 3 महीने में ईंटें बनाया गया था। पूरे भोजनालय में स्पेशल टाइल्स लगाई गई हैं। जो कि मोरबी की बनी हुई हैं। इतना नहीं इन टाइल्स के लिए थान, राजस्थान, कच्छ समेत 25 तीर्थस्थलों की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया। ये टाइल्स भी 3 महीने में बनवाकर तैयार करवाई गई थीं। भोजनालय के निर्माण में 22,75,000 टन से अधिक लोहे का उपयोग किया गया है। भोजनालय के निर्माण के लिए 180 मजदूरों ने दिन में 12 घंटे काम कर किया और भव्य भोजनालय बनाकर तैयार किया।
Compiled: up18 News