अच्‍छी खबर: भारत का चालू खाता घाटा पिछले साल के मुकाबले आधा हुआ

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इन वजहों से आया चालू खाता घाटे में उछाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अप्रैल जून तिमाही में बढ़ते व्यापार घाटे और नेट सर्विसेज में कम सरप्लस के साथ ही प्राइवेट ट्रांसफर रिसीट में कमी के कारण चालू खाते में पिछली तिमाही के मुकाबले उछाल आया है। प्राइवेट ट्रांसफर रिसीट का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा देश में भेजे जाने वाले पैसे से आता है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि पिछली तिमाही के मुकाबले यह बढ़ोतरी उम्मीद के मुताबिक ही है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि बिगड़ते ट्रेड बैलेंस, तेल की बढ़ती कीमतों और आयात में बढ़ोतरी की वजह से अभी चालू खाता घाटे के और बढ़ने की आशंका है।

चालू खाता घाटा अर्थव्यवस्था को करता है कमजोर

बता दें कि चालू खाता घाटा तब होता है जब आयात की गई वस्तुओं, सेवाओं और निवेश का मूल्य, निर्यात से ज्यादा होता है। चालू खाता घाटा किसी भी देश की मुद्रा को कमजोर कर सकता है और आयात को महंगा कर सकता है। इसका अर्थव्यवस्था में महंगाई को बढ़ाने में अहम योगदान होता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 16.8 अरब डॉलर था, वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 13.4 अरब डॉलर था। बीते दिनों में सेवा आधारित व्यापार में उछाल की वजह से चालू खाता घाटे में कमी आई है।

भारत का विदेशी कर्ज बढ़कर 629 अरब डॉलर हुआ

रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया है कि भारत का विदेशी कर्ज जून के अंत तक बढ़कर 629.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। हालांकि भारत के कर्ज-जीडीपी अनुपान में गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, मार्च में भारत पर विदेशी कर्ज 624 अरब डॉलर था, जो कि जून के अंत तक 4.7 अरब अमेरिकी बढ़कर 629 अरब डॉलर हो गया है।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि सामान्य बकाया कर्ज कम हुआ है जबकि गैर सरकारी कर्ज जून 2023 में बढ़ गया है। इसके अलावा विदेशी कर्ज में 32.9 प्रतिशत की सबसे अधिक हिस्सेदारी कर्ज की रही, इसके बाद मुद्रा तथा जमा, व्यापार ऋण और अग्रिम और ऋण प्रतिभूतियों का योगदान रहा।

Compiled: up18 News