देश के लाखों किसानों को दिवाली से पहले खुशखबरी देते हुए आज मोदी सरकार ने आज अगले सीजन के लिए रबी फसल की MSP का ऐलान किया। मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए रबी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP का ऐलान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉफ्रेंस में की है। अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में रबी फसलों की एमएसपी पर निर्णय लिया गया है जिसके अनुसार सभी रबी फसलों की एमएसपी में पिछले सीजन की इजाफा किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2022-23 में गेहूं की एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विटंल थी, जिसे अगले सीजन 2023-24 में 2125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। मतलब कि गेहूं की एमएसपी में 110 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है। इसके अलावा जौ की एमएसपी पिछले सीजन में 1635 रुपए प्रति क्विंटल थी, इसे 2023-24 के लिए 1735 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। जौ की एमएसपी में प्रति क्विंटल 100 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है।
मंसूर की एमएसपी में सबसे अधिक 500 रुपए की बढ़ोत्तरी
चना की कीमत पिछले सीजन में 5230 रुपए प्रति क्विंटल थी। अगले सीजन में चना की एमएसपी में प्रति क्विंटल 105 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है। चना 2023-24 की सीजन में 5334 रुपए प्रति क्विंटल सरकार खरीदेगी। इसके अलावा मंसूर की एमएसपी में सबसे अधिक की बढ़ोत्तरी की गई है। देश की प्रमुख दलहनी फसल मंसूर की एमएसपी में 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोत्तरी की गई है।
पिछली सीजन में मंसूर की कीमत 5500 सौ रुपए प्रति क्विटंल थी। इसके 2023-24 की सीजन में सरकार 6000 रुपए प्रति क्विंटल खरीदेगी।
सरसों और राई की MSP में 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ी
सरसों और राई की एमएसपी में प्रति क्विंटल 400 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है। पिछली सीजन में यह 5050 रुपए क्विंटल थी, अगली सीजन में इसकी एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। इसके अलावा सूर्यमुखी की एमएसपी में प्रति क्विंटल 209 रुपए की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया गया है। सूर्यमुखी पिछली सीजन में 5441 रुपए प्रति क्विंटल थी। इसे 2023-24 में 5650 रुपए प्रति क्विंटल के दर से सरकार खरीदेगी।
किसानों को अपनी फसल की मिलेगी अधिक कीमत
रबी की इन पांचों प्रमुख फसलों की एमएसपी में बढ़ोत्तरी से देश के लाखों किसानों की सीधे तौर पर लाभ होगा। गेहूं, जौ, चना, मंसूर, सरसों और सूर्यमुखी देश में उपजाई जाने वालीं पांच प्रमुख रबी फसलें हैं। जिसकी पैदावार देश के अलग-अलग हिस्सों में व्यापक पैमाने पर होती है। इन फसलों की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को अपनी फसल की अधिक कीमत मिलेगी।
-एजेंसी