शादी पर चांद का टुकड़ा दिखने के लिए गुब्बारा खाकर लड़कियां हो रहीं स्लिम

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गुब्बारा खाकर लड़कियां हो रहीं स्लिम

आजकल जिन लड़कियों की शादी फिक्स हो रही है, उन पर शादी के दिन स्लिम दिखना का प्रेशर बढ़ जाता है क्योंकि कहीं ना कहीं उनकी बॉडी शेमिंग होने लगती है। चूंकि शादी से पहले किसी भी तरह की टमी कम करने के लिए सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती इसलिए उन्हें allurion balloon नाम का गुब्बारा खाने को दिया जाता है। इसे गैस्ट्रिक बैलून भी कहा जाता है। यह सॉल्युबल ब्लून है जो खाने के बाद पेट में फिट हो जाता है और ओवर इटिंग से बचाता है।

6 महीने बाद से यह अपने आप पेट में घुलकर मोशन के साथ निकल जाता है।

दुल्हन अपनी स्किन को गोरी करने के लिए ग्लूटाथिओन के इंजेक्शन लगवाती है। सास की बात सुन शिल्पा हैरान रह गईं लेकिन अब वह ब्यूटी ट्रीटमेंट करवा रही हैं और उन्हें स्किन कॉम्प्लेक्शन में फर्क भी नजर आ रहा है। शादी के खर्चों के अलावा ये एक नए तरह का महंगा खर्चा लड़की वालों का सिरदर्द बन रहा है।

 इवन टोन और लाइटर टोन की सबसे ज्यादा डिमांड

जिन लड़कियों की शादी होने वाली है, उनकी प्री ब्राइडल प्राेसिजर में सबसे ज्यादा डिमांड इवन टोन की होती है।

दरअसल जब हम अपनी स्किन को सूरज की किरणों से सुरक्षित नहीं रखते तो स्किन में पैच होने लगते हैं और सनलाइट कभी दाएं तो कभी बाएं तरफ ज्यादा पड़ती है। सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें स्किन के सेल्स को डैमेज करके पिग्मेंटेशन शुरू कर देती हैं।

इससे ‘अन इवन स्किन टोन’ हो जाती है। यानी चेहरे पर जगह-जगह टैन होता है। इवन टोन के लिए घर से बाहर निकलते हुए चेहरे पर सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है।

दूसरी सबसे ज्यादा डिमांड होती है लाइटर टोन की। यानी सबको गोरा रंग चाहिए।

डार्क टोन को लाइट करने के लिए ग्लूटाथिओन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अगर स्किन ज्यादा डार्क है तो हफ्ते में 2 बार सिटिंग होती है। अगर स्किन की लाइटर टोन है तो 2 हफ्ते में एक बार भी ये इंजेक्शन लिए जा सकते हैं। यह त्वचा के रंग पर निर्भर करता है।

केमिकल पीलिंग और PRP दे नेचुरल ग्लो

ब्यूटी ट्रीटमेंट वही अच्छा लगता है जो नेचुरल ग्लो दे, फेक ब्यूटी किसी को अच्छी नहीं लगती। दुल्हन शादी के दिन नेचुरल ग्लो केमिकल पीलिंग और PRP ट्रीटमेंट से पा सकती हैं।

इसमें कुछ बाहर से केमिकल स्किन में नहीं डाला जाता। केमिकल पीलिंग में एक केमिकल फेस पर अप्लाई किया जाता है जो स्किन की ऊपरी परत से डेड सेल, टैनिंग और पिगमेंटेशन हटाता है और स्किन की नई लेयर आती है।

पीआरपी ट्रीटमेंट यानी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा को वैंपायर फेशियल भी कहते हैं। इसमें व्यक्ति का ब्लड निकालकर प्लाज्मा को अलग कर उसे स्किन में इन्जेक्ट कर दिया जाता है। इससे चेहरा फ्लोलेस और ग्लोइंग तो बनता ही है, एजिंग के साइन भी रिवर्स हो जाते हैं।

दुल्हन बनने जा रही लड़कियों को यह कॉस्मेटिक प्रोसिजर्स शादी से 3 से 4 महीने पहले शुरू कर लेने चाहिए क्योंकि इनकी सिटिंग में 3 हफ्ते का गैप होना चाहिए। अगर 2 से 3 सिटिंग लेंगे तभी इसका फायदा मिल पाएगा। ट्रीटमेंट कराने आई लड़कियों से बात करने पर ये पता चला कि उनसे सास या ननद से डिमांड थी कि तुम्हारा चेहरा इतना फीका क्यों लग रहा है, कुछ खाती पीती नहीं क्या? इस बात को सुनने के बाद उन्होंने ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने का मन बनाया।

होंठ चाहिए मोटे और पिंक

दिल्ली में रहने वाली निकिता ने बताया कि उनके होंठ बहुत पतले और डार्क थे। एक दिन उनकी होने वाली सास ने टोकते हुए कहा कि तुम्हारे चेहरे पर तो होंठ दिखते ही नहीं। उन्होंने निकिता को कोई ट्रीटमेंट करवाने को तो नहीं कहा लेकिन यह बात उसके दिल पर लग गई और उसने सेमी परमानेंट मेकअप करने का मन बना लिया।

निकिता ने कॉस्मेटिक फेशियल फिलर का सहारा लिया। इसे लिप फिलर भी कहा जाता है। लॉन्ग लास्टिंग रिजल्ट के लिए हर 6 से 8 महीने के बाद इसके इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। इसके अलावा लिप पिग्मेंट के जरिए होंठों को पिंक बनाया।

कॉस्मेटिक फेशियल फिलर के अलावा आजकल हयालूरोनिक एसिड फिलर के इंजेक्शन भी काफी पॉपुलर हैं। इन डर्मा फिलर से होंठ हाइड्रेटेड रहते हैं, फटते नहीं हैं और फुल वॉल्यूम में नजर आते हैं। इसके लिए हर 6 से 18 महीनों में टचअप कराना होता है।

नकली तिल और आईब्रो पर आए दिल

दुल्हनों के बीच आर्टिफिशियल मोल बनवाने और भरी-भरी आइब्रो दिखने का भी क्रेज है। दोनों को बनाने के लिए टैटू इंक या पिगमेंट का इस्तेमाल होता है। यह सेमी परमानेंट मेकअप में आता है।

इसकी विजिबिलिटी इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति का स्किन टाइप कैसा है और धूप में कितनी बार निकलते हैं। इस तरह का फेक तिल 3 साल तक टिका रहता है।

लेजर से हटवा रहीं अनचाहे बाल

अक्सर लड़कियां अपनी बॉडी पर बाल देखकर शर्म महसूस करती हैं। अगर उनकी शादी फिक्स हो जाती है तो वह सबसे ज्यादा अपरलिप्स, अंडरआर्म्स और प्यूबिक हेयर को रिमूव करवाने आती हैं।

लेजर हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट से बाल धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।

ग्रोइंग बालों के 2 भाग होते हैं: शाफ्ट और बल्प। शाफ्ट शरीर के बाहर और बल्प हेयर फॉलिकल (बालों की जड़ों) का बेस होता है।

लेजर से बल्प को गलाया जाता है क्योंकि इसके अंदर मेलेनिन होता है। जिसमें मेलेनिन की अधिक मात्रा होगी, बाल उतने ही काले होंगे।

यानी हेयर रिडक्शन टेक्नीक में लेजर बालों को नहीं बल्कि उसके अंदर के मेलेनिन के कलर को टारगेट करता है।

अगर किसी महिला के चेहरे पर बालों की ग्रोथ नॉर्मल है तो 7 से 8 सेशन में ही हेयर रिडक्शन थेरेपी के अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते हैं।

जो बाल शरीर पर बच जाते हैं उसके लिए 4-5 महीने बाद दोबारा लेजर ट्रीटमेंट रिपीट किया जाता है या शेव कर सकते हैं। इस ट्रीटमेंट के दौरान वैक्सिंग, थ्रेडिंग या हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

परफेक्ट स्माइल भी हो रही डिजाइन

दांतों का गैप भरने या टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने के लिए आमतौर पर तार यानी ब्रेसेज लगाए जाते हैं। लेकिन आजकल एलाइनर या इनविजिबल अलाइनर का चलन बढ़ा है।

ब्रेसेज में दांतों में तार लगे नजर आते हैं लेकिन एलाइनर में ऐसा नहीं है। यह ट्रांसपेरेंट होते हैं जिसे 20 से 22 घंटे तक पहना जा सकता है। इससे 8 महीने से 1 साल में ही दांत शेप में आ जाते हैं। इस ट्रीटमेंट की कीमत 1.5 लाख रुपये से शुरू होती है।

वहीं, स्माइल को भी सॉफ्टवेयर से डिजाइन किया जाता है। इसमें दांतों के लिए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है और उस हिसाब से दांतों को छोटा-बड़ा किया जाता है। स्माइल लाइन खींची जाती है ताकि दांतों को सही तरीके से सेट किया जा सके। जरूरत पड़ने पर सर्जरी से भी मसूड़ों को ठीक किया जाता है। इसमें एक दांत की कीमत 15,000 रुपए से शुरू होती है और पूरे प्रोसिजर में 2 से 3 लाख रुपये तक का खर्चा होता है।

– एजेंसी