कुंठित पुरुषों की पैशाचिक निगाहें, हर वक्त टटोले…हर वक्त आजमायें !

अन्तर्द्वन्द

-सोनिका मौर्या-

लड़कियों पर गिद्ध दृष्टि जमाये कथित प्रबुद्धों की जमात,बाहर से कुछ और अंदर कुछ और बात

गली-मोहल्ले-कार्यस्थल से लेकर हर जगह सेक्सुअल हरासमेंट के चक्कर में रहते हैं कुछ लोग

सोनिका मौर्या
सोनिका मौर्या

जगत में जननी का दर्जा पायी नारी सृजन शक्ति से परिपूर्ण होती है।वह सदैव सहनशीलता हया को अपना गहना मानती है, अपने परिवार को ही अपनी दुनियां मानती है। मगर वही नारी कभी उत्पीड़न, शोषण औऱ अपनी देह पर गिद्धदृष्टि जमाये कुंठित पुरुषों के लिये वह एक दैहिक इच्छापूर्ति की साधन मात्र होती है। जिसे वह छल या बलपूर्वक रौंदने के लिये हर वक्त ताक में रहता है।

शायद ही कोई दिन ऐसा खाली जाता हो जिस दिन लड़कियों  महिलाओं के साथ छेड़खानी यौन शोषण उत्पीड़न की घटनाएं अखबार की सुर्खियां न बनती हों। कई मामलों में तो उनके साथ दुष्कर्म करके हत्या तक कर दी जाती है। बावजूद हमें इस प्रकार की हिंसा के बारे में अधिक पता नहीं चलता है क्योंकि शोषित व प्रताड़ित लड़किया महिलाएं इसके बारे में चर्चा प्रतिकार करने की बजाय लोकलाज की वजह से दबा छुपा जाती हैं।

देखा जाय तो यौन कुंठाग्रस्त पुरुषों की निगाहें हर वक्त परिचित अपरचित लड़कियों महिलाओं को अपनी दूषित निग़ाहों से टटोलते रहते हैं। कार्यस्थल की चहारदीवारी हो या सार्वजनिक परिवहन के साधन यह हर जगह अपनी यौन कुंठाओं की पूर्ति के लिये प्रयास करते हैं। चाहे वह बस ट्रेन ऑफिस हो या मोहल्ले का कोई मांगलिक कार्यक्रम। देखा जाय तो इसमें युवा पुरुषों के साथ बहुत सारे अधेड़ भी होते हैं जो प्रबुद्घता का चोला ओढ़कर बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और होते हैं। इनमें से ज्यादातर नैतिकता की बात करेंगे। मगर मौके दर मौके अनैतिक होने से नहीं चूकते। इसके पीछे एक सोच बैठी है कि महिला चाहे किसी भी आयु, वर्ग, धर्म, जात जमात की हो पुरुषों में वह मात्र एक योनि औऱ भोग्य वस्तु योग्य से अधिक कुछ भी नहीं मानी जाती है। और यही सोच जब चरम पर होती है तो एक पुरूष को पिशाच बना देती है।

फिर वह कामांध हो महिलाओं पर यौन हिंसा करने से नहीं चूकता है। आज चाहे वह स्कूल-कॉलेज मीडिया, कार्पोरेट जगत फिल्मी दुनिया मने हर जगह लड़कियों महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनायें मौजूद रहती हैं। कुछ छुप जाती है कुछ छप जाती है। देखा जाय तो छेड़छाड़ बलात्कार जैसी घटनाओं में पुरुषों के यौन कुंठाओं को इंटरनेट पर फैली आपत्तिजनक सामग्री भी बूस्ट करती है। इंटरनेट पर मौजूद पोर्न के ऐसे कंटेंट मौजूद रहते हैं। जिसे देखकर लोग बहक जाएं फंतासी में खो जायें। इसलिए आत्मनियंत्रण खो चुका पुरुष अपनी कामुकता को शांत करने के लिये हर जगह प्रयास करता है। इसी वजह से आये दिन महिलाओं को यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।

अगर वाकई महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया स्वच्छ है तो उसके हावभाव और आंखे बता देती हैं। वरना महिलाओं की छठी इंद्री पुरुष क्या चाह रहा है,उसे देखकर ही बता देती है।

और अंत में यही कहूंगी की…कदम-कदम पर भेड़िए, शहर-शहर में रेप…कैसे रहें लड़कियां निर्भीक,कैसे रहें सेफ ।

-up18 News


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