सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता ठीक नहीं
पूर्व आर्मी चीफ नरवणे ने कहा कि बॉर्डर राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने मणिपुर में उग्रवादी संगठनों को चीन की ओर से दी जा रही सभी प्रकार के सहायता का भी उल्लेख किया। जिस तरह की आधुनिक हथियार उग्रवादी उपयोग कर रहे हैं वो बिना किसी विदेशी ताकत के सहायता से इनके पास पहुंच हीं नहीं सकता।
पूर्व सेना प्रमुख ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित एक चर्चा के दौरान मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए यह बयान दिया।
चीन पर ये बयान दिया
नरवणे बोले- “मुझे यकीन है कि जो लोग सत्ता में हैं और जो भी कार्रवाई की जानी चाहिए उसे करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं। मैं कहता हूं कि इसमें न केवल विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि वे निश्चित रूप से इसमें शामिल हैं, खासकर विभिन्न विद्रोही समूहों को चीन से सहायता मिल रही है।”
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि चीन कई दशकों से उग्रवादी समूहों की मदद कर रहा है और अब भी ऐसा करना जारी रखेगा ताकि विकास के पथ पर बढ़ रहे भारत को रोका जा सके। चीन की यह नीति रही है कि अपने मजबूत पड़ोसियों को किसी ऐसे मामले में उलझाया जाए जिससे वो अपने मुख्य एजेंडे पर फोकस न कर पाए।
19 जुलाई को उबल पड़ा पूरा देश
मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच 19 जुलाई की शाम को एक वीभत्स घटना का वीडियो वायरल हो गया जिसमें दरिंदों की एक भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया जा रहा था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता था की दोनों महिलाएं कितनी असहाय थीं।
जैसे ही यह वीडियो सामने आया पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। हर जगह इन दरिंदों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। जिसके बाद इस केस को CBI को सौंपने का फैसला लिया गया ताकि जल्द से जल्द सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।
जानिए पूरा मामला
बता दें कि अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।
जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 145 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।
Compiled: up18 News
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