महाराष्ट्र की राजनीति में एक और भूचाल आने की आशंका है। कहा जा रहा है कि बहुत जल्द अजित पवार एनसीपी छोड़कर बीजेपी में शामिल होंगे। यह दावा सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आम आदमी पार्टी की नेता अंजली दमानिया ने किया है। दमानिया ने इस बाबत एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने एक तरह से बीजेपी का अगला प्लान बताया है। अब अंजली दमानिया के ट्वीट की वजह से महाराष्ट्र की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है।
दमानिया ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘आज काम के सिलसिले में मंत्रालय गयी थी। वहां एक शख्स ने मुझे रोका और एक दिलचस्प जानकारी दी। उनके मुताबिक बहुत जल्द शिवसेना के 15 विधायक अपात्र हो जाएंगे और अजित पवार बीजेपी के साथ चले जाएंगे।’
दमानिया ने आगे लिखा है कि देखते हैं महाराष्ट्र में और कितनी राजनीतिक दुर्दशा होनी बाकी है। बहरहाल, कुछ वजहें ऐसी हैं जो इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं कि अंजलि दमानिया की बात सच हो सकती है।
जरअंदेश्वर शुगर फैक्ट्री घोटाला से हटा अजित पवार का नाम
अजित पवार का नाम जरंदेश्वर शुगर फैक्ट्री घोटाला मामले की चार्जशीट में नहीं दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच ईडी कर रही थी। अदालत में ईडी ने जो आरोप पत्र दायर किया है, उसमें अजित पवार और उनके परिवार के लोगों के नाम नहीं हैं। हालांकि, इस मुद्दे पर उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा है कि अजित पवार और उनके परिवार का नाम ईडी की चार्जशीट में न होना यह बताता है कि उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं था। ईडी ने जानबूझकर उन्हें परेशान किया था। यह साबित होता है कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विरोधियों को डराने के लिए हो रहा है।
कुछ दिन पहले अजित पवार ने अपनी सरकारी सुरक्षा छोड़ दी थी और वह अचानक नॉट रिचेबल हो गए थे। जिसके बाद फिर यह चर्चा छिड़ी थी कि कहीं दोबारा फडणवीस और अजित पवार के बीच कुछ खिचड़ी तो नहीं पक रही।
अजित पवार के बीते कुछ महीनों के बयानों पर नजर दौड़ाएं तो यह पता चलता है कि वह पीएम मोदी, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस पर सीधे हमला नहीं करते या ऐसा करने से बचते हैं। हाल में जब विपक्ष पीएम मोदी की डिग्री को लेकर शोर मचा रहा था, तब अजित पवार ने कहा था कि यह कोई मुद्दा नहीं है। देश में इससे भी बड़े मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरुरत है।
अजित पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की दोस्ती के बारे में भी पूरा महाराष्ट्र जानता है। दोनों ही नेताओं ने एक-दूसरे पर कभी भी सीधे हमले नहीं किये हैं। इसके अलावा तीन साल पहले जब फडणवीस और पवार ने मिलकर सुबह के समय सरकार बनाई थी। तब अजित पवार को सिंचाई घोटाले से भी राहत मिली थी।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी इन दिनों महाविकास अघाड़ी से कुछ उखड़े- उखड़े नजर आ रहे हैं। जेपीसी का मुद्दा हो, पीएम की डिग्री का मुद्दा हो सावरकर का मुद्दा हो या फिर उद्धव ठाकरे का सीएम पद से इस्तीफ़ा देना। इन विषयों पर शरद पवार और अजित पवार ने अलग ही रुख अपनाया था।
Compiled: up18 News
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