फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन का कहना है कि यूक्रेन पर रूसी हमले का सामना करने के लिए यूरोप ‘उतना मज़बूत नहीं है’ और उसे अमेरिका के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ा है.
अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सना मरीन ने कहा कि यूरोप की रक्षा ताकतों को मज़बूत किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “मुझे आपसे ईमानदारी से ये बात कहनी होगी कि यूरोप अभी पर्याप्त मज़बूत नहीं है. हम अमेरिका के बिना मुसीबत में होंगे.”
यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने वाले देशों में अमेरिका सबसे आगे है.
पिछले महीने ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स की एक रिसर्च ब्रीफिंग में कहा गया था कि फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से अमेरिका ने यूक्रेन को 18.6 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देने की घोषणा की है.
यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने वाले देशों में अमेरिका के बाद यूरोपीय संघ दूसरे नंबर पर है. वहीं ब्रिटेन तीसरे स्थान पर, लेकिन दी कील इंस्टीट्यूट फॉर दी वर्ल्ड इकोनॉमी का कहना है कि अमेरिकी सहयोग के मुक़ाबले यूरोपीय संघ और ब्रिटेन का योगदान काफ़ी कम है.
फिनलैंड की प्रधानमंत्री का कहना है कि यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने के बीच यूरोपीय देशों के रक्षा भंडार घट रहे हैं इसलिए यूरोपीय रक्षा ताकतों को और मज़बूत करने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहाकि “अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार तो दिए ही हैं, साथ ही आर्थिक और मानवीय सहायता भी पहुंचाई है और यूरोप अभी इतना सशक्त नहीं है.”
Compiled: up18 News