कई मामलों में गलत जानकारी के कारण लंग्स कैंसर का टीबी मानकर होता है इलाज

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लक्षणों की जानकारी न होना और सही समय पर ठीक ट्रीटमेंट न मिलने की वजह से ऐसा होता है. कई मामलों में लंग्स कैंसर के मरीजों का सालों तक टीबी की बीमारी का ही ट्रीटमेंट चलता रहता है. ऐसे में कैंसर का काफी देरी से पता चलता है. इस स्थिति में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है.

लंग्स कैंसर के करीब 30 से 40 फीसदी मरीजों का पहले टीबी का ट्रीटमेंट चलता है, जबकि उनको होता लंग्स कैंसर है. इस गलत ट्रीटमेंट का कारण यह है कि ग्रामीण स्तर के अस्पतालों में जांच की बेहतर सुविधा नहीं होती है. फेफड़ों के इंफेक्शन या खांसी की समस्या को लंग्स कैंसर नहीं माना जाता बल्कि टीबी की परेशानी समझकर इलाज किया जाता है.

खांसी की समस्या को टीबी ही मान लिया जाता है

लंबे समय से हो रही खांसी की समस्या को टीबी ही मानकर इलाज किया जाता है. ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में लंग्स इंफेक्शन ( खांसी, सांस लेने में परेशानी और ब्रोंकाइटिस) के मामलों में मरीज का एक एक्स-रे कर दिया जाता है. ऐसे कई केस में एक्सरे में टीबी का पता चलता है. डॉक्टर भी मान लेते हैं खांसी की समस्या टीबी ही है. कई सालों तक टीबी की ही दवा चलती रहती है. ऐसे में कैंसर की स्क्रीनिंग पर ध्यान नहीं जाता है और बीमारी बढ़ती रहती है.

गंभीर स्थिति में मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर किया जाता है. जहां पता चलता है कि ये उसको टीबी नहीं बल्कि फेफड़ों का कैंसर था. लेकिन इस दौरान इतनी देर हो जाती है कि मरीज की बीमारी आखिरी स्टेज में पहुंच जाती है.

लंग्स कैंसर के अधिकतर मामले देरी से रिपोर्ट किए जाते हैं. इसका कारण यह है कि पहले मरीज का टीबी का इलाज चल रहा होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, प्राथमिक स्तर के अस्पतालों में फेफड़ों में हुए इंफेक्शन की बारीकी से जांच नहीं हो पाती. इससे कैंसर का पता नहीं चल पाता है.

कैसे पता करें कि टीबी नहीं लंग्स कैंसर है

अगर किसी व्यक्ति को तीन सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी रहती है और साथ में बलगम भी आ रहा है तो ये टीबी का लक्षण होता है. इसके लिए पहले टीबी की जांच करा लें. अगर टीबी की पुष्टि हुई है तो इसका इलाज कराएं. इस दौरान नियमित रूप से अपनी दवाएं लें. अगर टीबी की दवाएं ले रहें हैं और तीन हफ्ते तक भी समस्या ठीक नहीं हो रही है तो ये फेफड़ों का कैंसर हो सकता है. ऐसे में बड़े अस्पताल जाकर कैंसर की जांच करा लें. इस मामले में बिलकुल भी देरी न करें.

खांसी को न करें नजरअंदाज

भारत में टीबी का इलाज लोग बहुत देरी से कराते हैं. लंबे समय से हो रही खांसी को नजरअंदाज कर देते हैं. कई मामलों में अस्पतालों में भी फेफड़ों की समस्या को टीबी ही मानकर इलाज किया जाता है. ऐसे में डॉक्टरों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. अगर टीबी के इलाज में आराम नहीं मिल रहा है तो जल्द से जल्द मरीज को बड़े सेंटर में कैंसर की जांच के लिए भेजना चाहिए.

लोगों को भी सलाह है कि वह खांसी को हल्के में न लें. अगर लगातार तीन सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी बनी हुई है तो अपनी जांच जरूर करा लें.

लंग्स कैंसर की जांच के लिए लिक्विड बायोप्सी

लंग्स कैंसर की जांच के लिए लिक्विड बायोप्सी एक बेहतर विकल्प है. हालांकि यह सुविधा बड़े अस्पतालों में ही है, लेकिन अगर आपको टीबी के लक्षण हैं और टीबी के ट्रीटमेंट के दौरान खास आराम नहीं मिल रहा है तो बड़े अस्पतालों में जाकर जांच कराएं. अगर शुरुआत में ही टेस्ट करा लिया तो लंग्स कैंसर से आसानी से बचाव हो जाएगा.

Compiled: up18 News