प्रवचन: मन के द्वंद्व से ही बढ़ते हैं विवाद- जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज

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आगरा। राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि छोटे-छोटे द्वंद्व ही मानसिक शांति खत्म करते हैं, उनसे ही विवाद बढ़ते हैं। इसलिए द्वंद्वों को बढ़ने से पहले ही तुरंत नियंत्रण कर लेना चाहिए।

जैन स्थानक, मोतीकटरा में सोमवार को धर्म सभा थी, उसमें जैन संतों ने महा मंगलकारी शांति पाठ के उपरांत
प्रवचन करते हुए कहा कि द्वंद्व जहां होता है, वहां दुख ही दुख होता है। झगड़े का कारण भी मानसिक पीड़ा, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा होती है। तुरंत समाप्त करके मानसिक शांति करनी चाहिए।

जैन मुनि ने कहा कि भगवान वीतरागी होते हैं। उन्हें किसी व्यक्ति से क्या लेने देना। केवल हम उनके नाम का जाप करके अपने मन को पवित्र बना सकते हैं। नाम, जाप से ही जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है।

उन्होंने उदाहरण दिया कि जिस प्रकार हम कल्पना करें कि नीबू काट कर उसका रस अपनी जीभ पर डाल रहे हैं। कल्पना मात्र से ही हमारी जीभ को खट्टा स्वाद आने लगता है। वहीं दूसरी ओर नींबू वाला रोज हल्ला मचा कर नींबू बेचता है, उसकी जीभ को कभी स्वाद खट्टा नहीं लगता। इसी प्रकार हमें जाप करना आना चाहिए। मन से जाप करने पर ही उसका फल हमें मिलता है। भगवान का नाम मस्ती से लेंगे तो कल्याण होगा।

जैन संत ने कहा कि वे 15 साल बाद मोतीकटरा स्थानक में आए हैं। यह भी उतना पुराना है, जितनी उनकी उम्र है। यह पवित्र तीर्थ स्थल हैं, यहां संतों का आवागमन लगा रहता है।इसके बाद जैन संतों ने अपनी मंगल विहार यात्रा प्रारभ करते हुए पंचकुइयां, शंकर पुरी, केदार नगर होते हुए हनुमान नगर मारुति एस्टेट में अशोक जैन गुल्लू के निवास पर पहुंच गए है। रात्रि विश्राम के बाद मंगलवार को सुबह विहार करते हुए लोहा मंडी स्थानक पहुंचेंगे।

सोमवार की मंगल विहार यात्रा में पूजा जैन, रुचि जैन, नीतू जैन, वेणी जैन, सुनीता जैन, निशीथ जैन, प्रतीक जैन,अजय जैन, विशेष जैन, रुही जैन आदि शामिल रहे।

-up18news