खुलासा: निचली अदालतों में लंबित कुल मामलों में से 90% सिर्फ चार राज्यों से, यूपी सूची में सबसे आगे

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यूपी, महाराष्ट्र समेत ये 4 राज्य सबसे आगे

30 साल से अधिक समय से पेंडिंग केस के मामले में 41,210 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सूची में सबसे आगे है। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर है जहां 23,483 मामले लंबित हैं। वहीं तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल का नंबर आता है जहां 14,345 केस और बिहार में 11,713 मामले पेंडिंग है। इन चार राज्यों में ही कुल लगभग 91 हजार मामले पेंडिंग है। यह बात सच है कि ये सभी राज्य बड़े हैं लेकिन यह भी समझने की भी जरूरत है कि भारत की आबादी का केवल 42% हिस्सा ही इन राज्यों में है और पेंडिंग केस में योगदान 90 फीसदी। दूसरे राज्यों की बात की जाए तो इसके बाद ओडिशा (4,248) और गुजरात (2,826) ही ऐसे अन्य राज्य हैं जिनमें एक हजार से अधिक मामले 30 वर्षों से अधिक समय से लटके पड़े हैं।

इस राज्य में कोई मामला नहीं, हरियाणा का भी प्रदर्शन बेहतर

चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, लद्दाख, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में तीन दशक से अधिक समय से कोई पेंडिग केस का मामला नहीं है। यह संख्या उत्तराखंड और पुडुचेरी के लिए एक-एक है जबकि हिमाचल प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए यह 10 से कम है। बड़े राज्यों में केवल 14 ऐसे मामलों के साथ हरियाणा में सबसे कम संख्या है। मेघालय, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़, असम, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर इन राज्यों में ऐसे मामलों की संख्या 100 से कम है। बाकी राज्यों के लिए यह संख्या 100 से 1,000 के बीच है।

इन आंकड़ों से समझिए पेंडिंग केस की पूरी कहानी

करीब 5 लाख (4.9 लाख) मामले 20 से 30 साल से पेंडिंग हैं। 28. 7 लाख मामले 10-20 साल से लंबित हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एक दशक से अधिक समय से लंबित मामलों की कुल संख्या 34. 6 लाख हो गई है। सिक्किम में 99.6% से अधिक लंबित मामले पांच साल से कम पुराने हैं और बड़े राज्यों में, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 90% से अधिक लंबित मामले हैं। यह अनुपात दिल्ली, तेलंगाना, असम, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और गुजरात के लिए 80% और 90% के बीच है। पांच साल से कम पुराने मामलों की हिस्सेदारी यूपी, ओडिशा और बिहार में 60% से 70% के बीच है और पश्चिम बंगाल के लिए 60% से थोड़ा कम है।

-एजेंसी


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