पीएम मोदी पर डॉक्यूमेंट्री को लेकर दिल्‍ली की कोर्ट ने भेजा बीबीसी को समन

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मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होनी है. अदालत ने विकिपीडिया की फ़ंडिंग करने वाले विकिमीडिया फ़ाउंडेशन और अमेरिका की डिजिटल लाइब्रेरी इंटरनेट आर्काइव को भी नोटिस भेजा है.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ”बीबीसी समन जारी होने के 30 दिनों के भीतर अपना लिखित जवाब दाखिल करे.”

बिनय कुमार सिंह ने कोर्ट का रुख़ करते हुए कहा था कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के आने से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद की मानहानि हुई है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के बारे में कहा था, ”मुझे ये साफ़ करने दीजिए कि हमारी राय में ये एक प्रौपेगैंडा पीस है.

इसका मक़सद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं. इस फ़िल्म या डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नैरेटिव को दोबारा चलाना चाह रहे हैं.”

इस बारे में बीबीसी ने कहा था, “बीबीसी दुनिया भर के अहम मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए प्रतिबद्ध है. ये डॉक्यूमेंट्री भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्पसंख्यक मुसलमानों के तनाव की पड़ताल करती है और इसी तनाव के मद्देनज़र प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति पर नज़र डालती है.”

बीबीसी ने कहा, “इस डॉक्यूमेंट्री के लिए उच्चतम संपादकीय मानकों का पालन करते हुए गहन रिसर्च की गई है. इसके लिए कई गवाहों, विश्लेषकों और आम लोगों से बात की गई है. इनमें बीजेपी के लोग भी शामिल हैं. हमने भारत सरकार को इस डॉक्यूमेंट्री में उठे मुद्दों पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया था लेकिन उसने जवाब देने से इंकार कर दिया.”

Compiled: up18 News


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