बैठक में फैसला: मिलेट्स से जुड़े उत्पादों पर GST अब 18% की जगह 5%

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माल व सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शनिवार को शीरे पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का किया है। जीएसटी परिषद के सदस्य और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि औद्योगिक उपयोग के लिए एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) पर माल व सेवा कर (जीएसटी) लगता रहेगा।

देव ने जीएसटी परिषद की 52वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”मानव उपभोग के लिए ईएनए (पीने योग्य अल्कोहल) को जीएसटी से छूट दी जाएगी और इसकी जानकारी उच्चतम न्यायालय को दी जाएगी।” देव ने कहा कि गन्ने के सह-उत्पाद और शराब उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाले शीरे पर कर की दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली और गोवा जैसे कुछ राज्यों ने जीएसटी का सामना कर रही ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के मुद्दे को उठाया। देव ने कहा, “इन कंपनियों पर पिछली तारीख से शुल्क (कर मांग नोटिस) पर चर्चा हुई थी। चूंकि डीजीजीआई एक स्वतंत्र निकाय है, इसलिए इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। जीएसटी परिषद की चेयरपर्सन ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह डीजीजीआई को स्पष्टीकरण उपलब्ध कराएंगी।”

इससे पहले कयास लग रहे थे कि जीएसटी परिषद की मीटिंग में ईवी बैटरी, बीमा कंपनियों और मिलेट्स पर लगने वाले दरों पर भी बड़ा फैसला लिया जा सकता है। जीएसटी परिषद की फिटमेंट कमिटी की ओर से मिलेट्स पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई थी। मिलेट्स से बने आटे को खुले में बेचने पर कोई जीएसटी चार्ज नहीं करने की बात कही गई है।

भारत 2023 को ‘मिलेट्स ईयर’ के रूप में मना रहा है और सरकार बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि बाजरा जलवायु के लिहाज से लचीला है और इसे कम पानी में और उर्वरकों और कीटनाशकों के न्यूनतम उपयोग के साथ उगाया जा सकता है।

जीएसटी परिषद् की बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अलावा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केन्द्र सरकार व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं। जीएसटी परिषद जीएसटी व्यवस्था से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए समय-समय पर बैठक करती है, जिसमें कर की दरों, नीतिगत परिवर्तन और प्रशासनिक मुद्दे शामिल हैं।

जीएसटी परिषद भारत के अप्रत्यक्ष कर ढांचे को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह सुनिश्चित करती है कि यह देश के आर्थिक लक्ष्यों के साथ संरेखित हो और नागरिकों और व्यवसायों पर कर के बोझ को कम करे।

Compiled: up18 News