सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के आदेश दे दिए राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सभी छह दोषियों (नलिनी श्रीहरन, आर पी रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) की रिहाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने मई में रिहा हुए एक अन्य दोषी ए जी पेरारिवलन के मामले पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस पार्टी खुश नहीं है और उसने इस आदेश पर कड़ा ऐतराज जताया है और इस फैसले को गलत कहा है। कांग्रेस के कम्युनिकेशंस इन-चार्ज और जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश ने कहा, “पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।
नलिनी, जो वर्तमान में पैरोल पर बाहर है, उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा याचिका को ठुकराने के बाद जेल से जल्द रिहाई की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश देने के बाद नलिनी की याचिका दायर की थी। संविधान के अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) को यह सुनिश्चित करने के लिए आदेश पारित करने में सक्षम बनाता है। नलिनी ने पेरारीवलन के मामले का हवाला दिया क्योंकि उसने इसी तरह की राहत मांगी थी।
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी सभा में लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। इस मामले में सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सात दोषियों में से चार को मौत और अन्य तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं सन 2000 में नलिनी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। जबकि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन सहित अन्य तीन दोषियों की मौत की सजा को कम कर दिया था।
-एजेंसी
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