RLD को लेकर कन्फ्यूजन खत्म: मोदी सरकार ने एक तीर से साधे कई निशाने

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दूसरी ओर अखिलेश यादव की ओर से उन्हें सात लोकसभा सीटों का ऑफर मिला है। समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर सपा के सिंबल पर आरएलडी के कैंडिडेट उतारने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि आरएलडी के नेता ने दावा किया है कि पार्टी अभी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। छोटे चौधरी अभी इंडिया और एनडीए के ऑफर को तौल रहे हैं।

जयंत का एनडीए में रास्ता साफ करने के लिए केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न देने का ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को एनडीए में लाने की राह खोल दी थी।

जयंत चौधरी के लिए बीजेपी के ऑफर में क्या है

भारतीय जनता पार्टी ने वेस्टर्न यूपी की 27 सीट जीतने के लिए हर तरह की तरकीबें आजमा रही हैं। किसान आंदोलन और जाट वोटरों की नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी जयंत चौधरी को एनडीए के पाले में लाना चाहती है।

सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने जयंत चौधरी को चार लोकसभा सीट ऑफर की है, जिसमें बिजनौर और बागपत भी शामिल है। बागपत जयंत चौधरी और आरएलडी का परंपरागत गढ़ रहा है। पश्चिम यूपी में बागपत पर कब्जा करने का मतलब जाट बिरादरी का पूर्ण समर्थन माना जाता है। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह और छोटे चौधरी के नाम से मशहूर रहे अजित सिंह सांसद रहे हैं। 2014 के चुनाव में यह सीट बीजेपी ने छीन ली थी। पिछले 10 साल से सत्यपाल सिंह बागपत के सांसद हैं। इसके अलावा बीजेपी ने आरएलडी को प्रदेश में दो मंत्री पद और राज्यसभा में एक सांसद चुनने का भरोसा दिया है।

बीजेपी के मालामाल ऑफर को देखें तो 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोकदल के पास केंद्र में मंत्री पद की संभावना भी बनी रहेगी। अभी पूरे उत्तर प्रदेश में राम लहर चल रही है। जयंत चौधरी इसका फायदा ले सकते हैं। चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न देकर बीजेपी ने संकेत दिया है कि डील फाइनल है, अब जयंत चौधरी को अंतिम फैसले की घोषणा करनी है।

समाजवादी पार्टी के ऑफर में हार-जीत का रिस्क है

चर्चा है कि बीजेपी के ऑफर को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने भी अपने तेवर नरम किए हैं। सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी अब जयंत चौधरी को सीधे तौर से पांच लोकसभा सीट बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मथुरा, कैराना सीधे तौर से देने को राजी हो गई है। इसके अलावा हाथरस और मुजफ्फरनगर सीट पर आरएलडी कैंडिडेट समाजवादी पार्टी की टिकट पर उतर सकते हैं।

समाजवादी पार्टी मुजफ्फरनगर सीट जयंत के खाते में नहीं डालना चाहती है। अखिलेश यादव के ऑफर में यह पेच है कि वेस्टर्न यूपी में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए आरएलडी को ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होगी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रीय लोकदल का खाता भी नहीं खुला था।

बीजेपी ने 19 सीटें जीती थीं जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा ने 4-4 सीटों पर कब्जा किया था। माना जा रहा है कि वेस्टर्न यूपी में बीजेपी के साथ जाना अब जयंत चौधरी के लिए मजबूरी बन चुकी है। अगर 2024 में चुनाव नतीजे विपरीत आए तो पार्टी बिखर सकती है।

-एजेंसी


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