मथुरा: भक्ति वेदांत गुरुकुल में CM योगी ने इस्कॉन से गोवंश के संरक्षण में भूमिका निभाने का किया आह्वान

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां मुझे उन्नत नस्ल की भारतीय गोवंश देखने को मिला है। हमे मिलकर भारतीय नस्ल की उन्नत गोवंश के लिए कार्य करना होगा। ये कार्य मथुरा के वेटेरिनरी विश्वविद्यालय में पहले से हो रहा है। इस्कॉन को वहां जाकर इसे देखना और समझना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब निराश्रित गाय सड़कों पर घूमती हैं, तो कई बार ये दंगों का कारण भी बनती हैं। सरकार गोवंश संरक्षण के लिए अनेक योजना चला रही है। प्रदेश के अंदर नौ लाख से अधिक गोवंश की देखभाल सरकार कर रही है। भारतीय नस्ल के गोवंश सुरक्षित रहें इसके लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मथुरा के रज रज में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के दर्शन होते हैं। आज यहां गुरुकुल में निर्मित भव्य मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और दाऊ की प्रतिमा रखी गयी और इसका लोकार्पण किया गया है। साथ ही गोसेवा के लिए समर्पित दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र का भी शुभारंभ हुआ है।

मुख्यमंत्री ने इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद जी महाराज को नमन करते हुए कहा कि वे एक संन्यासी थे और हरे कृष्णा मूवमेंट के साथ उन्होंने इस्कॉन की स्थापना की। उन्होंने पूरी दुनिया में 108 मंदिरों के निर्माण के साथ ही श्रीमद्भागवत और श्रीकृष्ण की लीला और उनकी भक्ति का प्रचार प्रसार किया। आज उनके अनुयायी इस क्षेत्र में पूरी ऊर्जा के साथ जुड़े हुए हैं। इसी कड़ी में 1976 में यहां गुरुकुल की स्थापना हुई थी और आज इसमें दो नई कड़ियां जुड़ी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रज की धरती भगवान के अवतार की धरती है। यहां से संतों ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। हमारा दायित्व है कि ये धरती भगवान की लीला भूमि के साथ गोसेवा की भूमि भी बने। भारतीय नस्ल के गोवंश से न केवल दुग्ध पदार्थ बल्कि सीएनजी भी बन रही है, बल्कि बदायूं में गोमूत्र और गोबर से पेंट भी बन रहा है। हमें मिलकर इस काम को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें प्राकृतिक कृषि को प्रधानता देनी होगी। इस्कॉन को इसमें लीड करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मथुरा क्षेत्र में जहां खारा पानी और नमकीन मिट्टी की समस्या है उसका भी समाधान गोमय से निर्मित जीवामृत और घनामृत है। इससे धरती के विष को खत्म किया जा सकता है। साथ ही जल का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। आज गाय केवल दूध देने तक ही सीमित ही नहीं है। इसे हम नेचुरल फॉमिर्ंग से भी जोड़ सकते हैं। फर्टीलाइजर और केमिकल फार्मिंग की जगह नेचुरल फार्मिंग से धरती की शुद्धि के साथ ही फसल की शुद्धि और उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने इस्कॉन का आह्वान करते हुए कहा कि संस्था को पूरे मथुरा में दुग्ध समितियों का गठन करते हुए दूध प्रसंस्करण को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें हर गांव में महिलाओं के सहयोग से दुग्ध समितियों का गठन करना होगा। अगर किसान की आमदनी को बढ़ाना है तो दूध के उत्पादों पर विशेष तौर पर कार्य करना होगा क्योंकि हम सब जानते हैं कि दूध से ज्यादा दाम दही, मक्खन और घी में मिल सकता है। अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो निश्चित रूप से इसका लाभ किसान को मिलेगा। हर तहसील में गो प्रसंस्करण केंद्र का निर्माण हो सके इस दिशा में भी कार्य करना होगा।

-एजेंसी


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