जलवायु परिवर्तन की मार, आल्प्स में हुआ करती थीं बर्फ़ की सफेद चोटियां, वहां अब सिर्फ घास और मिट्टी बची

Life Style

यूरोप का आल्प्स पर्वत वैसा नहीं दिख रहा है जैसा आमतौर पर साल के इन दिनों में दिखाई देता है. छितरी सी बर्फ उसकी खूबसूरती को ग्रहण लगा रही है. सर्दियां बहुत सर्द नहीं हैं. इसलिए बर्फ कम है और घास व चट्टानें नजर आ रही है. नतीजा यह हुआ है कि स्कीइंग करने वालों की छुट्टियां बेमजा हो गई हैं और व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है.

यूरोप में स्कीइंग का मक्का कहे जाने वाले आल्प्स पर्वत की कई चोटियों पर घास, चट्टानें और मिट्टी नजर आ रही हैं. ऑस्ट्रिया के इन्सब्रूक से लेकर स्विट्जरलैंड के विलार्स-सुर-ओलोन और क्रांस-मोनटाना व जर्मनी के लेंगरीज तक हर जगह आल्प्स की खूबसूरती पर गर्मी का ग्रहण लगा हुआ है. इससे यह डर भी पैदा हो गया है कि आने वाली गर्मियां काफी गर्म हो सकती हैं.

फ्रांस से लेकर पोलैंड तक यूरोप के कई इलाकों में सर्दी का यह मौसम वैसा नहीं है, जैसा आमतौर पर होना चाहिए. मौसम के आंकड़े दिखाते हैं कि पोलैंड में तापमान दहाई के अंकों में पहुंच रहा है, जो इन दिनों के लिए बेहद असामान्य है. ऐसा उस वक्त हो रहा है जबकि अमेरिका के उत्तरी इलाकों ने हाल के दिनों में भयानक सर्दी और बर्फबारी देखी है.

स्विट्जरलैंड के मौसम विभाग मेटेओस्विस ने कहा है कि कई जगह सर्दियों के हिसाब से सबसे ज्यादा तापमान दर्ज हुआ है. फ्रांस की सीमा के पास यूरा रेंज में डेलेमॉन्ट स्टेशन पर साल के पहले ही दिन 18.1 डिग्री तापमान दर्ज हो चुका है. इस तरह पिछली जनवरी में बना रिकॉर्ड भी दो-ढाई से टूट गया है. अन्य शहरों में भी तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है.

अपने ब्लॉग पर मेटेओस्विस ने लिखा है कि “इस बार के नये साल पर लोग भूल सकते हैं कि इस वक्त सर्दियां अपने चरम पर हैं.”

मेटेओस्विस में मौसम विज्ञानी आनिक हाल्डीमान कहते हैं कि पश्चिम और दक्षिण पश्चिम से आईं गर्म हवाओं ने मौसम बदल दिया है और चूंकि यह मौसम लगातार बना रहा है इसलिए हफ्ते भर से तापमान ऊंचाई पर है. उन्होंने कहा कि 2,000 मीटर से ऊंची चोटियों पर बर्फ गिरी है लेकिन नीचे आते आते इसकी मात्रा कम होती गई है. स्कीइंग के शौकीनों को उनकी सलाह है कि “थोड़ा सब्र रखें.”

वर्ल्ड कप में मुश्किल

बर्फ की कमी स्विट्जरलैंड के लिए कुछ ज्यादा ही बड़ी चिंता है क्योंकि आडेलबोडेन में शनिवार से स्कीइंग का वर्ल्ड कप शुरू होना है. आमतौर पर इसे देखने के लिए लगभग 25 हजार लोग आते हैं. ऐसे आयोजनों के लिए ही स्थानीय रिजॉर्ट भी इंतजार करते हैं. लेकिन इस वक्त होटलों के पीछे सफेद नहीं भूरी चोटियां नजर आ रही हैं, जिनके कारण उनका आकर्षण कम हो गया है.

आयोजन के निदेशक टोनी हादी मानते हैं कि इस बार की रेस सौ फीसदी कृत्रिम बर्फ पर होगी. वह कहते हैं, “जलवायु थोड़ा बहुत बदल रही है लेकिन यहां हम क्या कर सकते हैं? क्या हम जिंदगी को ही रोक दें? जिंदगी आसान नहीं है. स्की स्लोप तैयार करना ही नहीं, सब कुछ मुश्किल है.”

बहुत से देशों 2023 भी उन्हीं परेशानियों के साथ शुरू हुआ है जिन्हें 2022 लेकर आया था. स्विट्जरलैंड और फ्रांस दोनों में ही पिछला साल अब तक का सबसे गर्म साल रहा था. संयुक्त राष्ट्र के मौसम विभाग के मुताबिक पिछले आठ साल के इतिहास के सबसे आठ गर्म साल साबित हुए हैं. जल्द ही 2022 के तापमान के सारे आंकड़े जारी किए जाएंगे जिनमें तस्वीर और साफ होगी.

उधर फ्रांस का मौसम विभाग मीटियो फ्रांस कहता है कि 2022 जितने तापमान पर खत्म हुआ है, वह कुछ इलाकों में इस मौसम का सबसे ज्यादा तापमान रहा. विभाग ने कहा कि आल्प्स की दक्षिणी और उत्तरी चोटियों पर 2,200 मीटर से ऊपर तो करीब-करीब सामान्य बर्फबारी हुई है लेकिन निचली हिस्सों में बर्फ बहुत कम है. स्विस आल्प्स के दक्षिणी हिस्से में इटली के डोलोमाइट्स में इलाके की सबसे अच्छी बर्फबारी हुई है.

आगाज तो अच्छा था

वैसे, जब सर्दियां शुरू हुई थीं तब स्कीइंग के शौकीन खुश थे क्योंकि हालात अच्छे लग रहे थे. फ्रांस में दिसंबर के मध्य में तापमान एकदम गिर गया था. कई जगहों पर भारी बर्फबारी भी हुई थी. लेकिन उसके बाद तापमान एकदम बढ़ना शुरू हो गया और निचले हिस्सों में स्थित कई रिजॉर्ट तो बंद करने पड़े क्योंकि सारी बर्फ पिघल गई थी.

फ्रांसीसी स्की रिजॉर्ट्स के संगठन डोमेन्स स्कीएबल्स डे फ्रांस के प्रतिनिधि लॉरेंट रेनॉद कहते हैं, “मौसम की शुरुआत तो अच्छी हुई थी. दिसंबर के मध्य में शीतलहर चली जिसने सबको सफेदी दे दी थी. लेकिन पिछले हफ्ते काफी बारिश हुई और तापमान बढ़ गया. इसलिए कइयों को बंद करना पड़ा.”

जर्मनी में भी सर्दी का तापमान बसंत जैसा महसूस हो रहा है. कई जगह तो 2 जनवरी को तापमान 16 डिग्री के आसपास रहा. माना जाता है कि जर्मनी में नव वर्ष की पूर्व संध्या अब तक की सबसे गर्म मानी जा रही है. जर्मन मौसम विभाग ने कहा है कि दक्षिण जर्मनी में चार जगहों पर तापमान 20 डिग्री रहा.

ब्रसेल्स यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर विम थिअरी कहते हैं कि जिस धारा ने आर्कटिक से शीत हवा को अमेरिका में पहुंचाया, उसी ने यूरोप में गर्मी बढ़ाई. वह बताते हैं कि अभी हालात और बुरे हो सकते हैं. वह कहते हैं, “इस सदी के आखिर तक आल्प्स में स्कीइंग वैसी नहीं रह जाएगी, जैसी हम उसे जानते हैं.”

Compiled: up18 News