केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों के आंकड़े जुटाना संभव नहीं है क्योंकि अवैध प्रवासी गुप्त तरीके से देश में दाखिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई कर रहा है। इसी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर ये बात बताई। नागरिकता कानून की यह धारा असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित है।
अवैध प्रवासियों का आंकड़ा जुटाना असंभव
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि 17,861 लोगों को इस प्रावधान के तहत नागरिकता दी गई है। विदेशी ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत साल 1966-1971 के बीच 32,381 लोगों की बतौर विदेशी पहचान की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को केंद्र सरकार ने पूछा था कि देश में 1 जनवरी 1966 से लेकर 25 मार्च 1971 तक कितने बांग्लादेशी नागरिकों को असम में भारतीय नागरिकता दी गई और सरकार से इसका डाटा मांगा था। साथ ही सरकार से अवैध घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा था। इस पर केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासी बिना किसी वैध दस्तावेज के गुप्त तरीके से देश में दाखिल होते हैं। अवैध प्रवासियों का पता लगाना, उन्हें हिरासत में लेना और उन्हें उनके देश भेजना एक जटिल प्रक्रिया है। ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे अवैध प्रवासियों के आंकड़ा जुटाना संभव नहीं है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट में 8 हजार से ज्यादा मामले लंबित
केंद्र सरकार ने बताया कि साल 2017 से 2022 के बीच 14,346 विदेशियों को उनके देश वापस भेजा गया। फिलहाल असम में 100 विदेशी ट्रिब्युनल काम कर रहे हैं और 31 अक्तूबर 2023 तक 3.34 लाख मामले निस्तारित किए गए हैं और 31 अक्तूबर तक 97,714 मामले निपटाए गए हैं। फॉरेन ट्रिब्युनल के आदेश से संबंधित 8,461 मामले गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबित हैं।
सरकार ने असम पुलिस के कामकाज, सीमा पर पेट्रोलिंग और अन्य तरीकों से घुसपैठ को रोकने की कोशिशों की जानकारी कोर्ट को दी। साथ ही ये भी बताया कि सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए फेंसिंग भी की जा रही है।
Compiled: up18 News
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