हरियाणा-दिवस विशेष: सरकारों की उपेक्षा के चलते पिछड़ती गई हरियाणवी भाषा

वर्तमान अकादमी उपाध्यक्ष व निदेशक की पहल सराहनीय : डॉ. ‘मानव’ हरियाणा-दिवस के सुअवसर पर दिए गए अपने विशेष साक्षात्कार में डॉ. ‘मानव’ ने कहा कि पंजाब से अलग हरियाणा राज्य का गठन ही भाषा के आधार पर हुआ था, लेकिन सरकारों की उपेक्षा के चलते हरियाणवी पिछड़ती चली गई। हरियाणा के हिन्दी और हरियाणवी […]

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बड़ा सवाल: क्या मीडिया समझ रहा है अपनी जिम्मेदारी या बाजारबाद हो गया है हावी?

दिवाली के अवसर पर अधिकांश त्योहारी बधाई और शुभकामना संदेश अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से दूर करने की बात करते हैं। लेकिन हकीकत में, वर्तमान युग में आस्था और भक्ति के नाम पर रूढ़िवादिता, पाखंडी अंधविश्वास और संकीर्णता को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह देखने की होड़ लगी हुई है कि […]

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परंपरा को रखे जीवित, सबकी मने दीवाली, मिट्टी के दीये जलाएँ

आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है। इससे सामाजिक रूप से व पर्यावरण पर ग़लत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए ज़रूरी है आमजन दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने व पटाखे नहीं चलाने का संकल्प लें। […]

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हिंदू युवक को लगा मुस्लिम का गुर्दा और मुस्लिम युवक को लगा हिंदू का गुर्दा, ऐसे बची दोनों की जान

एक तरफ़ नफरती लोग देश को हिंदू मुसलमान में बांटने में लगे है तो दूसरी तरफ़ कुदरत सभी को एकजुट करने में लगी है. हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां कुदरत के करिश्मा से हिंदू परिवार ने मुस्लिम युवक की और मुस्लिम परिवार ने हिंदू युवक की जान बचाई है। आपको […]

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धन्वंतरि जयंती पर वीरान नजर आती है आगरा की प्रसिद्ध वैद्य गली

दो विश्व धरोहर स्मारकों, ताजमहल और किले के पड़ोस में, आगरा की प्रसिद्ध वैद्य गली, एक सदी से भी अधिक समय से राजाओं, राजनेताओं और आम आदमी की पसंदीदा रही है, लेकिन इन दिनों संरक्षकों की संख्या कम हो गई है, क्योंकि एलोपैथी स्वास्थ्य क्षेत्र पर हावी हो गई है। आगरा, एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत […]

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लेखनी को पलने और बढ़ने का माहौल देता उत्तराखंड का ‘लेखक गांव’

‘लेखक गांव’ लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचनाकर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर एक अभिनव पहल है। उत्तराखंड में यह पहला लेखक गाँव भविष्य का पर्यटक गंतव्य बनकर उभरेगा। यह मंच उन लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नयी […]

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अंग्रेजों के खंडित भारत में पहुँच गया 21वीं सदी का इंडिया

एक बार महात्मा गांधी ने कहा था, “सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, बल्कि यह तो प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है।” इस भावना को समझते हुए देश को कई इकाइयों में बांटा गया। प्रदेश, जिला, ब्लॉक इत्यादि। यह प्रशासनिक व्यवस्था अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने के लिए की गई। […]

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नेट पर बढ़ती निर्भरता शोध के दायरे को कर सकती है सीमित

नेट पर बढ़ती निर्भरता अनजाने में भारत में शोध के दायरे को सीमित कर सकती है। अनुसंधान विचार, कार्यप्रणाली और परिप्रेक्ष्य की विविधता पर पनपता है। नेट जैसे मानकीकृत परीक्षण, जो आलोचनात्मक सोच पर याद रखने को प्राथमिकता देते हैं, ऐसे विद्वान पैदा कर सकते हैं जो परीक्षा उत्तीर्ण करने में माहिर हैं लेकिन ज्ञान […]

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जब मैं गाने सुनने का बड़ा शौकीन हुआ करता था…अब वो बात कहाँ…..

एक रोज मेरा किसी काम से जाना हुआ, घर लौटते हुए शाम हो गई। मैं घर लौट ही रहा था कि दूर किसी चाय की दुकान पर एक पुराना गाना सुनाई दिया। गाने के बोल मेरे कानों में पड़े तो एक पल के लिए मैं जवानी के उस समय में पहुँच गया जब मैं गाने […]

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एपीजे अब्दुल कलाम: नए भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा

कलाम ने हमेशा अपने दमदार भाषणों के माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रयास किया था। दरअसल, उनके कुछ फैसले भी उनके अपने युवा जुनून का ही नतीजा रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत के राष्ट्रपति के रूप में एक आरामदायक जीवन नहीं जीने और छात्रों, युवा पीढ़ी को पढ़ाने और अपना ज्ञान […]

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