अमेरिका के टैरिफ़ निर्णय और भारत के लिए संभावनाएँ – पूरन डावर

अमेरिका की ट्रंप सरकार ने अपने टैरिफ्स की घोषणा कर दी है। 5 अप्रैल से अमेरिका में हर निर्यात पर 10% अतिरिक्त टैरिफ और 10 अप्रैल से घोषित टैरिफ लागू होंगे। यह टैरिफ उस देश के साथ व्यापार घाटे के आधार पर तय किए गए हैं और यह अब तक जिस देश के साथ जो […]

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लेखक की स्वतंत्रता बनाम संपादकीय नीति: बहस के नए आयाम

संपादक आमतौर पर अनूठी और मौलिक रचनाएँ चाहते हैं ताकि उनकी पत्रिका की विशिष्टता बनी रहे। दूसरी ओर, लेखकों को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे अपनी रचनाएँ अधिक से अधिक स्थानों पर भेज सकें, खासकर जब संपादक बिना किसी समयसीमा के रचनाओं को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार रखते हैं। साहित्य और प्रकाशन […]

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एचकेआरएनएल कर्मचारियों की दुर्दशा: सरकारी व्यवस्था का एक और छलावा

जब भी हरियाणा विधानसभा में खाली सरकारी पदों को भरने की मांग उठती है, सरकार इन कर्मचारियों को केवल आंकड़ों की बाजीगरी में इस्तेमाल करती है। सरकार यह दिखाने का प्रयास करती है कि उसने रोजगार उपलब्ध करा दिया है, लेकिन वास्तविकता में इन कर्मचारियों को केवल अल्पकालिक संविदा पर रखा जाता है। सरकार को […]

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घिब्ली की दुनिया बनाम हकीकत: कला, रोजगार और मौलिकता का संघर्ष

रोजगार हमारी ज़रूरतों के लिए आवश्यक है, लेकिन कला और मनोरंजन मानसिक शांति और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। घिब्ली स्टाइल इमेजरी और एआई टूल्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे मौलिकता पर सवाल उठ रहे हैं। पहले जहां कलाकारों को महीनों मेहनत करनी पड़ती थी, अब एआई कुछ सेकंड में वैसा […]

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धर्म का धंधा, कभी न मंदा: स्वर्ग जाने का सर्टिफिकेट बांटते तथाकथित महाराज

हम बचपन में जब कहानियों की कोई भी किताब पढ़ा करते थे, उस में एक कहानी इस टाइप की जरूर होती थी कि एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था….एक दानवीर राजा था, जो सवेरेसवेरे राज्य के 100 ब्राह्मणों को 100 सोने की मोहरें और 100 गायें दान दिया करता था…..वगैरहवगैरह। रोजरोज इतना सोना, […]

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जल संकट का समाधान: परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम

जल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकों को मिलाकर जल संकट से बचा जा सकता है। भारत में जल संरक्षण का एक समृद्ध इतिहास रहा है। हमारे पूर्वजों ने भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार जल संरक्षण की अनेक प्रणालियाँ विकसित की थीं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। जल संकट आज […]

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घोर कलयुग की दस्तक: नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते….

समाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी निर्ममता से हत्या कर सकता है? महिला ने जेठ के साथ मिलकर अपने दो वर्ष के बेटे को मरवा दिया। पत्नी ने प्रेमी सँग मिलकर मर्चेंट नेवी मे अफसर पति के टुकड़े-टुकड़े किये। पिता ने […]

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डिप्लोमा वेटरनरी एसोसिएशन हरियाणा: 1016 दिनों से संघर्ष जारी, कब मिलेगा न्याय?

पशुपालकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर, हरियाणा के इतिहास में सबसे लंबे कर्मचारी आंदोलनों में से एक। हरियाणा पशुपालन विभाग में महानिदेशक पद पर आईएएस अधिकारी की नियुक्ति एवं VLDA कर्मचारियों की माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा स्वीकृत मांगों की अधिसूचना जारी करवाने हेतु Diploma Veterinary Association Haryana 633 द्वारा 1015 दिनों से आंदोलन जारी है। […]

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कुआँ सूखने पर ही पता चलती है पानी की कीमत

कहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन और संसाधनों के प्रति जागरूक और कृतज्ञ रहना चाहिए। चाहे वह जल हो, प्रेम हो, स्वतंत्रता हो या स्वास्थ्य, हमें इनका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली […]

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संवेदनहीन न्याय? बार-बार समाज को झकझोरते सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले

क्या हमारी न्याय प्रणाली यौन अपराधों के मामलों में और अधिक संवेदनशील हो सकती है? या फिर ऐसे सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले बार-बार समाज को झकझोरते रहेंगे? यह मामला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फैसले का विरोध किया, जिससे […]

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