‘नई अत्याधुनिक तकनीकों से आसान हुआ दिल की गंभीर बीमारियों का इलाज’, आगरा में आयोजित हुआ ‘कार्डियोलॉजी अपडेट’ सेमिनार

Press Release

आगरा। हृदय रोगों के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सा विज्ञान में नित नई तकनीकें इजाद होती जा रही हैं। चाहे वह हार्ट की आर्टरी में जमे कैल्सिफाइड ब्लॉकेज हो या दिल की धड़कन या वॉल्व से जुड़ी बीमारी, अब ज्यादातर बीमारियों का इलाज बिना सर्जरी के संभव है।

शनिवार को संजय प्लेस स्थित एक होटल में आईएमए आगरा और जयपुर के इटर्नल हॉस्पिटल की ओर से सेमिनार ‘कार्डियोलॉजी अपडेट’ का आयोजन किया गया। सेमिनार में नामी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़, डॉ. कुश कुमार भगत, डॉ. संजीव सिडाना, डॉ. प्रशांत द्विवेदी ने हार्ट की बीमारियों के इलाज से जुड़ी नवीनतम तकनीकों के बारे के जानकारी दी। आईएमए अध्यक्ष ओपी यादव ने अतिथियों का स्वागत किया।

इटर्नल हॉस्पिटल के सीईओ डॉ प्राचीश प्रकाश ने बताया कि हमारा प्रयास है कि विश्व में हृदय से संबंधित इलाज के लिए जो भी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे जल्द से जल्द भारत में भी उपयोग में लाया जा सके। कार्डियोलॉजी अपडेट से हम नॉलेज शेयर करना चाहते हैं जिससे लोगों तक नई तकनीकों की जानकारी मिल सके।

क्रायो एब्लेशन से संभव अनियंत्रित धड़कन का सटीक इलाज

सीनियर कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि हृदय में 300 धड़कन प्रतिमिनट तक ले जाने वाली खतरनाक बीमारी एट्रियल फिब्रिलेशन के इलाज के लिए अब नई तकनीक क्रायो एब्लेशन आ गई है। जिसमें बहुत कम तापमान वाले बैलून की मदद से एट्रियल फिब्रिलेशन का कारण बने हिस्से को ब्लॉक कर धड़कन को नियंत्रित कर लिया जाता है।

डॉ. कुश कुमार भगत ने बताया कि आईसीयू में भर्ती होने वाले 15 से 20 प्रतिशत मरीजों को अनियंत्रित धड़कन की बीमारी अरिद्मिया होती है और अधिकांश मरीज एट्रियल फिब्रिलेशन या वेंट्रीकुलर टेकीकार्डिया से पीड़ित होते हैं। इन मरीजों की मृत्यु दर भी काफी अधिक है। इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी द्वारा धड़कन से जुड़ी बीमारियों का इलाज संभव है।

बिना सर्जरी के हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट

स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज विशेषज्ञ डॉ प्रशांत द्विवेदी ने बताया कि 10 साल पहले तक वॉल्व की समस्या होने पर सिर्फ सर्जरी ही एक उपचार विकल्प था। लेकिन अब कैथेटर बेस्ड ट्रीटमेंट भी होने लगे हैं। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट या इंप्लांटेशन (टावी या टावर), इस तकनीक से बिना सर्जरी वॉल्व रिप्लेसमेंट हो सकता है। इसके अलावा हार्ट के माइट्रल वॉल्व में लीकेज होने पर बिना सर्जरी के माइट्रल क्लिप से ठीक कर सकते हैं।

कठोर ब्लॉकेज में भी एंजियोप्लास्टी संभव

डॉ. संजीव सिडाना ने बताया कि कठोर ब्लॉकेज होने पर एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती। इसके लिए अब रोटाब्लेशन तकनीक आ गई है। रोटाब्लेशन में एक विशेष तार का इस्तेमाल किया जाता है जिसके एक सिरे पर डायमंड कोटेड ड्रिल होती है। कैल्शिय ब्लॉकेज होने पर यह उसे ड्रिल करता है और कैल्शियम को बारीक टुकड़ों में तोड़ देता है। इस तकनीक का उपयोग उन केसों में किया जाता है जिसमें प्लाक या कैल्शियम काफी ज्यादा होता है। इस तकनीक से होने वाली एंजियोप्लास्टी के बाद स्टेंट के दोबारा बंद होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है।

इस अवसर पर मुख्य रूप से आईएमए अध्यक्ष ओपी यादव, सचिव पंकज नगायच, कोषाध्यक्ष अरुण जैन, योगेश सोलंकी आदि उपस्थित रहे।