एनएफआरए द्वारा सीए राजीव बंगाली 5 साल के लिए प्रतिबंधित, 5 लाख जुर्माना

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राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने मैसर्स सुब्रमण्यम बंगाली एंड एसोसिएट्स के सीए राजीव बंगाली द्वारा व्यावसायिक कदाचार के संबंध में कंपनी अधिनियम 2013 (अधिनियम) की धारा 132 (4) के तहत आदेश जारी किया। एनएफआरए ने उन्हें पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा किसी भी कंपनी या निकाय कॉर्पोरेट के सांविधिक लेखा परीक्षक और आंतरिक लेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त होने से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।

एनएफआरए द्वारा जारी विज्ञप्‍ति के अनुसार पेशेवर कदाचार की जांच के दौरान देखा गया कि टीडीएमएल के वित्तीय विवरणों में कैश फ्लो स्टेटमेंट शामिल नहीं था, ऑडिटर ने कैश फ्लो स्टेटमेंट की ऑडिट की झूठी रिपोर्ट दी थी। ऑडिटर ने फर्जी कैश फ्लो स्टेटमेंट के साथ एनएफआरए को गुमराह करने का भी प्रयास किया था।

वित्तीय विवरणों पर असंशोधित लेखापरीक्षा राय जारी करने में लेखापरीक्षक घोर लापरवाही कर रहा था जो कंपनी के मामलों की स्थिति के सही और निष्पक्ष दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता था।

इसके अलावा टीडीएमएल ने 24.06 करोड़ रुपये के अन्य विविध व्यय को मान्यता दी थी और 14.87 करोड़ रुपये के विविध शेष को बट्टे खाते में डाल दिया था, जो कि 71.43 करोड़ रुपये के कुल खर्च का 54.50% था। इस तरह के खर्च पिछले साल के 1.28 करोड़ रुपये के समान खर्च से 3041% अधिक थे।

लेखापरीक्षक इस तरह के असामान्य/असामान्य लेन-देन के बावजूद धोखाधड़ी के कारण भौतिक गलत विवरण की संभावना के प्रति उचित सावधानी बरतने और पेशेवर संदेह बनाए रखने में विफल रहा था।

लेखापरीक्षक ने अंकेक्षण पर बड़ी संख्या में मानकों का उल्लंघन किया था, तदनुसार, एक सूचीबद्ध कंपनी की लेखा-परीक्षा एक औपचारिक और आकस्मिक तरीके से की गई थी।

लेखापरीक्षक छ: लेखा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहा था।

टीडीएमएल ने निर्दिष्ट बैंक नोटों में लेनदेन के विवरण के बारे में खुलासा नहीं किया, नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण के बाद अनिवार्य आवश्यकता थी। इसी तरह टीडीएमएल ने संबंधित पार्टी विवरण और लेनदेन के संबंध में पूर्ण प्रकटीकरण नहीं दिया। अधिनियम के अनुसार महत्वपूर्ण प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने में लेखापरीक्षक घोर लापरवाही कर रहा था।

ऑडिटर ने झूठी रिपोर्ट दी थी कि टीडीएमएल, एक मीडिया और कंटेंट सिंडिकेशन कंपनी, आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 आईए के तहत गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी के रूप में पंजीकृत है।

गौरतलब है कि इससे पहले 13 सितंबर को भी एक सीए सोम प्रकाश अग्रवाल पर तीन लाख रुपये का जुर्माना और उन पर तीन साल का प्रतिबंध लगाया गया था।

– एजेंसी